मुरादाबाद (डेस्क)। बसपा के जिन दो सांसदों ने 2019 में चुनाव जीता था वह पार्टी का साथ छोड़कर चले गए हैं। तीसरे को अन्य सीट से लड़ाया जा रहा है। बसपा ने 2019 में मुरादाबाद मंडल की तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में पूरा सियासी समीकरण बदल गया है।
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बसपा ने 2019 में मुरादाबाद मंडल की तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी। जिसमें दो सांसद बसपा का साथ छोड़ कर दूसरी पार्टियों में चले गए जबकि तीसरे सांसद की सीट पार्टी ने बदल दी है। अब मुरादाबाद में बसपा का कोई सांसद चुनाव मैदान में नहीं है।
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2007 के विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत से उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने वाली बसपा इसके बाद किसी चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई। चुनाव दर चुनाव बसपा का वोट प्रतिशत घटता चला गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा उत्तर प्रदेश में खाता भी नहीं खोल पाई थी। 2017 विधानसभा चुनाव में बसपा उत्तर प्रदेश में 19 सीटेें जीती थीं।
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2019 लोकसभा के चुनाव में सपा और रालोद से गठबंधन के दम पर बसपा यूपी में 10 सीटें जीतने में कामयाब हो गई थी। 2019 में गठबंधन में बसपा को मुरादाबाद मंडल की अमरोहा, नगीना और बिनजौर लोकसभा सीटें मिली थीं। इन तीनों सीटों पर बसपा प्रत्याशी जीते थे।

अमरोहा से दानिश अली, नगीना से गिरीश चंद्र और बिजनौर से मलूक नागर जीत कर संसद पहुंचे थे। लेकिन चुनाव परिणाम आने के कुछ माह बाद ही गठबंधन टूट गया था। उत्तर प्रदेश के 2022 विधानसभा का चुनाव बसपा ने अकेले लड़ा था। जिसमें बसपा को उत्तर प्रदेश में एक ही सीट जीत सकी थी।
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2024 के चुनाव में फिर से समीकरण बदल गए हैं। बसपा ने दानिश अली को निलंबित कर दिया तो वो कांग्रेस में पहुंच गए। कांग्रेस ने उन्हें अमरोहा लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है जबकि बिजनौर सीट पर बसपा ने मलूक नागर का टिकट काट कर उनकी जगह विजेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है। अब मलूक नागर भी बसपा का साथ छोड़कर रालोद में शामिल हो गए हैं।
मुरादाबाद मंडल की सुरक्षित नगीना लोकसभा सीट से सांसद रहे गिरीश चंद्र की भी सीट बदल दी है। उन्हें नगीना की जगह बुलंदशहर लोकसभा सीट से से उम्मीदवार बनाया गया है। जबकि नगीना सीट पर सुरेंद्र पाल सिंह को बसपा ने प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतारा है।