/

U.P: दिवाली के मौके पर अवैध कछुआ व्यापार, मां-बेटी गिरफ्तार, 14 कछुए जब्त

13 mins read

पुलिस ने सूचना पर की कार्रवाई, सेक्टर-10 से हुई गिरफ्तारी

दिवाली के मौके पर प्रतिबंधित कछुए बेचने आईं मां बेटी को कोतवाली फेज वन पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने इनके पास से 14 जिंदा कछुए बरामद किए हैं। पूछताछ में पता चला कि दिवाली पर घर में कछुए की पूजा तरक्की का प्रतीक माना जाता है। इस लिए आरोपी मथुरा से कछुआ पकड़कर बेचने आए थे। पुलिस उन खरीदारों के बारे में पता लगा रही है जिन्हें बेचने दोनों आई थीं। कोतवाली फेज वन पुलिस ने सूचना के आधार पर बृहस्पतिवार को सेक्टर-10 से 14 जिंदा कछुओं के साथ वाडपुरा, मथुरा निवासी कमलेश उर्फ कन्नर और उसकी बेटी ज्योति को पकड़ लिया। परिचित के माध्यम से इन्हें कछुओं को बेचना था। डीसीपी रामबदन सिंह का कहना है कि दिवाली पर कुछ लोग कछुए खरीदना शुभ मानते हैं। इस कारण ऊंचे दामों पर दोनों अरोपी बेच रही थीं।

डीसीपी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी मां-बेटी हैं और दोनों के पति का देहांत हो चुका है। खरीदारों के बारे में पुलिस को कुछ इनपुट भी मिले हैं। पुलिस ने बरामद कछुओं को वन विभाग के सुपुर्द कर दिया है। इन कछुओं की कीमत एक हजार से दस हजार रुपये तक बताई जा रही है। दिवाली के मौके पर इसकी कीमत और अधिक बढ़ जाती है। दिवाली पर बढ़ जाती है कछुओं की डिमांड : पुलिस ने दोनों आरोपियों से पूछताछ के बाद बताया कि दिवाली के दौरान कछुओं की डिमांड बढ़ जाती है। कछुआ को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। कुछ वर्ग के लोगों में यह विश्वास है कि अगर दिवाली के मौके पर जिंदा कछुआ घर में हो और पूजा की जाए तब लक्ष्मी की कृपा अधिक होती है।

वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत प्रतिबंधित 
वन विभाग के सब इंस्पेक्टर शनि गौतम ने बताया कि यह देशी कछुआ है, जो वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत प्रथम अनुसूची में है। यह वन्य जीव राजकीय संपत्ति के रूप में चिह्नित हैं। इन कछुओं का शिकार करना, पकड़ना, बेचना, बेचने के उदेश्य से आवागमन करना दंडनीय अपराध है। बरामद कछुओं को वन विभाग मेडिकल कराने के बाद गंगनहर में छोड़ देगा। आरोपियों ने बताया कि दिवाली के पहले या बाद भी ये लोग कछुआ बेचते हैं। इन कछुओं का इस्तेमाल सूप व दवाइयां बनाने के लिए भी किया जाता है। पांच सितारा होटल में कछुए के सूप की डिमांड रहती है और दर्द निवारक से लेकर अन्य तरह की दवाइयां भी कछुए से बनाए जाते हैं।

Jarees malik

Sarkar Ki Kahani
M: 9997411800, 9719616444

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Latest from Blog