सीसामऊ और करहल में सपा की जीत: अंतर घटा, भाजपा ने दी कड़ी टक्कर।
लोकसभा चुनाव में उम्मीदों पर कुठाराघात के बाद सदमे में बैठे भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए उपचुनाव के नतीजे संजीवनी से कम नहीं हैं। नौ में सात सीटों पर बंपर जीत से साफ हो गया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जादू बरकरार है। सपा के खाते में गईं दो सीट में सीसामऊ में जीत का अंतर 8 हजार और करहल में 14 हजार रह गया। वहीं, अधिकांश सीटों पर बसपा प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा सके। आजाद समाज पार्टी बसपा के लिए खतरा बनकर उभरी है।

सीसामऊ : सपा का कब्जा बरकरार
प्रतिष्ठा का सवान बनी सीसामऊ सीट पर भाजपा की रणनीति फिर फेल हो गई। सीसामऊ में लगातार तीसरी बार सपा का कब्जा बरकरार रहा। साफ हो गया कि गैर मुस्लिम वोटों पर भी सपा प्रत्याशी का प्रभाव है, जिसके दम पर पहले हाजी मुश्ताक सोलंकी, फिर उनके बेटे इरफान सोलंकी और अब उनकी पत्नी नसीम सोलंकी ने जीत दर्ज की। 45 फीसदी मुस्लिम वोटों वाली इस सीट से सपा 2017 में भाजपा की प्रचंड लहर में भी जीती थी। सपा प्रत्याशी को मुस्लिम क्षेत्रों से एकतरफा वोट मिला तो गैर मुस्लिम इलाकों से भी खासे वोट मिले और आठ हजार वोटों से फतेह हासिल की। बसपा का कोई प्रभाव नहीं दिखा।
मझवां : शुचिष्मिता ने बेटी को भी दी शिकस्त
भाजपा की शुचिष्मिता मौर्य ने सपा की डॉ. ज्योति बिंद को हराया। वह यूपी की पहली महिला विधायक हैं, जिन्होंने पहले पिता और फिर बेटी को शिकस्त दी है। 4922 वोटों से जीतने वाली शुचिष्मिता 2017 में सपा प्रत्याशी डॉ. रमेश बिंद को भी हरा चुकी हैं। रमेश बिंद डॉ. ज्योति के पिता हैं। उन्होंने रमेश बिंद को 41,159 मताें से हराया था। मझवां विधानसभा सीट 2022 में निषाद पार्टी के पास थी, लेकिन डॉ. विनोद बिंद के सांसद बनने के बाद भाजपा ने सीट अपने पास रखी।

गाजियाबाद : भाजपा जीती, 12 की जमानत जब्त
उपचुनाव में गाजियाबाद सीट पर भगवा फहराने की गारंटी सबसे पहले दे दी गई थी। सपा भी यहां भाजपा की जीत तय मान रही थी। यहां भाजपा प्रत्याशी संजीव शर्मा ने सपा प्रत्याशी सिंहराज जाटव को 69,304 वोट से हराया। बसपा प्रत्याशी 10,729 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे। इस सीट पर बसपा प्रत्याशी समेत 12 की जमानत जब्त हो गई।
खैर : सुरेंद्र दिलेर ने खिला दिया कमल
खैर विधानसभा सीट भी चुनाव के दिलचस्प अखाड़ों में एक थी। सपा ने चारू कैन को टिकट देकर भाजपा प्रत्याशी का रास्ता कठिन बना दिया था, लेकिन सुरेंद्र दिलेर ने 38 हजार वोटों से जीत हासिल कर सारे अनुमान गलत साबित कर दिए। बसपा प्रत्याशी पहल सिंह 13365 वोट हासिल कर तीसरे नंबर पर रहे।
करहल : सपा की जीत का अंतर घटा
करहल से सपा के तेजप्रताप यादव महज 14725 वोटों से जीत पाए। भाजपा ने सपा के मजबूत प्रभाव वाली इस सीट पर तगड़ी चुनौती दी है। इससे साफ है कि 2027 का चुनाव आसान नहीं होगा। यहां भाजपा के वोट बढ़े और सपा की जीत का अंतर घटकर नीचे आ गया। 2022 में अखिलेश यादव 67 हजार के अंतर से जीते थे। लोकसभा चुनाव 2024 में भी सपा ने करहल विधानसभा क्षेत्र से बेहतर प्रदर्शन किया था। सपा प्रत्याशी डिंपल यादव को कुल 134049 वोट मिले थे। भाजपा की हार का कारण शाक्य मतदाताओं में बिखराव रहा, लेकिन अनुजेश सिंह के सहारे सपा के कोर वोट बैंक यादव समाज में सेंध लगाने में कामयाब रही।
मीरापुर : काम आई मिथिलेश की तीन दशक की सियासत
मीरापुर से जीतने वालीं मिथलेश पाल तीन दशक से जिले में सक्रिय हैं। जिला पंचायत सदस्य, अध्यक्ष और विधानसभा को मिलाकर अब तक 13 चुनाव लड़ चुकी हैं। पहले मोरना और अब मीरापुर के उपचुनाव में जीत दर्ज कर दूसरी बार विधायक बनीं। मिथिलेश का प्रभाव बसपा और रालोद में भी है। वर्ष 2009 में उनका सियासी भाग्य पलटा, जब मोरना के रालोद विधायक कादिर राणा बसपा में शामिल हुए और मुजफ्फरनगर से सांसद बने। वह मोरना उपचुनाव में जीतीं। परिसीमन के बाद मोरना सीट मीरापुर बन गई थी।

कटेहरी : धर्मराज ने तीस साल बाद खिलाया कमल
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद फैजाबाद लोकसभा सीट पर हार के बाद अब कटेहरी उपचुनाव में भाजपा की जीत कई मायने में अहम है। पहला यह कि तीन दशक बाद यहां कमल खिला है और दूसरा कद्दावर धर्मराज निषाद की 17 साल बाद सक्रिय राजनीति में वापसी हुई है। विधानसभा चुनाव 2022 में सपा ने 7,696 मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी। भाजपा की जीत ने विधानसभा क्षेत्र में नए समीकरण बनाए हैं। दलित व निषाद के साथ ही ब्राह्मण और क्षत्रिय मतदाता लंबे अरसे बाद भाजपा के पक्ष में दिखे। पिछड़े वर्ग के मतदाता भी धर्मराज निषाद के साथ आए। इस जीत में सीएम योगी के ताबड़तोड़ दौरों को बड़ा कारण माना जा रहा है। वहीं, सपा सांसद लालजी वर्मा ने परिवार के सदस्य को टिकट दिलाकर अंदरूनी नाराजगी बढ़ाई।
कुंदरकी : 31 साल बाद खिला कमल
कुंदरकी में लगातार तीन चुनाव जीतने के बाद सपा का वर्चस्व टूट गया। इस बार भाजपा प्रत्याशी रामवीर सिंह ने मुस्लिम मतों में सेंध लगाकर 31 साल बाद कमल खिला दिया। रामवीर सिंह ने तीन बार के विधायक सपा प्रत्याशी हाजी रिजवान को 1,44,791 मतों के अंतर से हराया। जियाउर्रहमान बर्क के सांसद बनने के बाद उनके इस्तीफे से खाली हुई कुंदरकी सीट पर पहले दौर से बनी भाजपा प्रत्याशी की बढ़त आखिरी दौर तक बरकरार रही। भाजपा को कुल मतदान का 76.54 प्रतिशत मिला।
फूलपुर : भाजपा की हैट्रिक, फिर हारे मुजतबा
फूलपुर विधानसभा उपचुनाव जीतने के साथ ही भाजपा ने यहां हैट्रिक लगा दी है। भाजपा प्रत्याशी दीपक पटेल ने सपा के मुजतबा सिद्दीकी को 11305 मतों से शिकस्त दी। बसपा के जितेंद्र सिंह जमानत तक नहीं बचा सके। फूलपुर के विधायक प्रवीण पटेल के सांसद बनने के बाद भाजपा ने दीपक पटेल को उतारा था।