वारदात के लिए समय और जिम्मेदारियां पहले से तय
लखनऊ में इंडियन ओवरसीज बैंक के 42 लॉकरों की काटकर करोडों के जेवरात और नकदी पार करने वाले गिरोह ने पुलिस को चकमा देने के लिए हर तैयारी की थी। गिरोह वारदात के दौरान खास पांच सिम का इस्तेमाल कर रहा था। इन नंबरों का इस्तेमाल गिरोह वारदात के दौरान ही करता और उसके बाद बंद कर देता था। इस बार वारदात के बाद दो सिम का वे इस्तेमाल करते रह गए, जिससे पुलिस उनकी लोकेशन को आसानी से ट्रेस कर सकी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, गिरोह ने वारदात में लगने वाले वक्त का भी आकलन कर लिया था। सबकी जिम्मेदारियां तय कर दी गई थी। कौन बाहर की हरकत पर नजर रखेगा, कौन-कौन अंदर जाएगा, कौन लॉकर काटेगा, सब पहले से तय था। लगने वाले वक्त को देखते हुए बाहर की टोली से संपर्क में रहने के लिए उन्हीं खास पांच सिम का इस्तेमाल किया।

सातों बदमाशों ने रोजाना इस्तेमाल होने वाले अपने-अपने मोबाइल फोन स्विच ऑफ करके रख दिए थे। वारदात से पहले दूसरे नंबरों को ऑन किया गया। इसी से वे आपस में बात कर रहे थे। पांचों मोबाइल को वारदात के बाद स्विच ऑफ करना था। तीन मोबाइल फोन तो स्विच ऑफ कर दिए गए, लेकिन दो को ऑफ करना भूल गए। पुलिस ने सर्विलांस की मदद से वारदात के वक्त बैंक के आसपास सक्रिय रहे मोबाइल नंबरों की जानकारी जुटाई। उस दौरान सक्रिय रहे दो मोबाइल नंबर ऑन थे। इनकी लोकेशन ट्रेस करती हुई पुलिस गिरोह तक पहुंच गई।
इसी अंदाज में करते थे वारदात
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, गिरोह ने इसके पहले जितनी वारदात अंजाम दी, उन सभी में यही तरीका अपनाया था, जिस सिम का वो रोजाना इस्तेमाल करते थे, उसको बंद कर अस्थायी नंबर चालू करते। वारदात के बाद उन नंबरों को बंद कर दिया जाता, ताकि वे ट्रेस न हो सकें। पूछताछ में भी गिरफ्तार आरोपियों ने यह कुबूल किया।
गाजीपुर के एक ढाबे पर खाया था खाना
वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी गाजीपुर जिला पहुंच गए थे। यहां से सभी बिहार जाने वाले थे। जिले के एक ढाबे पर सभी ने खाना खाया था। इसके बाद वे अलग-अलग हो गए। पुलिस के पीछे लगे होने की आशंका पर तीन-चार बदमाश लखनऊ आ गए। चूंकि सर्विलांस टीम को उनकी लोकेशन मिल रही थी, इसलिए मुठभेड़ में ये दबोच लिए गए।

विपिन की मदद से गिरोह ने यूपी में कदम रखे, शहर-दर-शहर करनी थी वारदात
विपिन के जरिये गिरोह ने यूपी में अपने कदम बढ़ाए। राजधानी की बैंक को निशाना बनाया। सूत्रों के मुताबिक पुलिस की जांच और गिरफ्तार आरोपियों से हुई पूछताछ में खुलासा हुआ कि इस वारदात को अंजाम देने के बाद गिरोह यूपी के किसी दूसरे शहर को ठिकाना बनाता। बिहार आसानी से भाग सकें, इसलिए पूर्वांचल के जिले इनके निशाने पर थे।
मुठभेड़ के दौरान पुलिस टीम पर चलाई थीं आठ गोलियां
इंडियन ओवरसीज बैंक के 42 लॉकर तोड़कर करोड़ों की चोरी के बाद भाग रहे आरोपी सोबिंद और उसके साथी ने पुलिस टीम पर आठ गोलियां चलाई थी। जवाबी कार्रवाई में सोविंद के सीने में गोली लगी। सोविंद को चिनहट सीएचसी ले जाया गया, जहां से लोहिया संस्थान भेज दिया गया। वहां उसकी मौत हो गई। पुलिस ने मौके से आठ खोखे बरामद किए हैं।
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जलसेतु तिराहे पर सोमवार रात मुठभेड़ में मारा गया था सोविंद
पुलिस के मुताबिक, जलसेतु तिराहे पर सोमवार रात पुलिस टीम ने शक के आधार पर एक कार को चेकिंग के लिए रुकने का इशारा किया। कार सोविंद चला रहा था। पुलिस को देखते ही उसने कार तेजी से भगाने की कोशिश की। इससे वह बेकाबू होकर पेड़ से टकरा गई। स्वाट टीम के प्रभारी शिवानंद मिश्रा के मुताबिक, इससे पहले कि पुलिस उनके पास पहुंचती, सोविंद ने फायरिंग शुरू कर दी। उसके साथी ने भी गोलियां चलाई। इस हमले में स्वाट टीम प्रभारी और चिनहट थाना प्रभारी बाल-बाल बचे। सोविंद का साथी अंधेरा का फायदा उठाकर भाग निकला।