बरेली में पत्नी की हत्या के दोषी को आजीवन कारावास, 50 हजार का जुर्माना
बरेली में पत्नी की हत्या करने के दोषी को अपर सत्र न्यायाधीश त्वरित न्यायालय प्रथम रवि कुमार दिवाकर ने सोमवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। दोषी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। न्यायालय ने भगवान शिव के अर्धनारीश्वर रूप का उल्लेख करते हुए दोषी को सजा सुनाई है।

घटना इज्जतनगर थाना क्षेत्र में सब्जी मंडी गेट संख्या दो के पास झुग्गी झोपड़ी में 12 अगस्त 2021 को हुई थी। कल्लू ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि उसकी झुग्गी झोपड़ी के पास ही सीबीगंज थाना क्षेत्र के सनउवन कॉलोनी निवासी उसकी बहन मीना पत्नी श्रवण भी रहती थी। वे लोग सूप बनाने का कार्य करते हैं। 11 से 12 अगस्त 2021 की रात जब उसकी बहन मीना उसी झोपड़ी के सामने चारपाई पर लेटी थी। उसी समय शराब के नशे में श्रवण बाहर से घूमता हुआ पहुंचा। उसने मीना को पेट में चाकू मार दिया। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। कल्लू ने श्रवण को पकड़ने की कोशिश की लेकिन वह चाकू लेकर भाग गया। परिजन घायल अवस्था में मीना को अस्पताल ले जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। मामले की सूचना पुलिस को दी गई।
पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर श्रवण की तलाश शुरू कर दी। विवेचक ने मामले में 13 दिसंबर 2021 को आरोपपत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया। पुलिस ने आरोपी श्रवण को विवेचना के दौरान ही गिरफ्तार कर लिया। अभियोजन की ओर से मामले में 16 गवाह पेश किए गए। साथ ही आठ साक्ष्य प्रस्तुत किए गए। न्यायालय ने गवाहों को सुनने और साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद श्रवण को दोषी पाते हुए सजा सुनाई है।

न्यायालय ने भगवान शिव के अर्धनारीश्वर रूप का किया जिक्र
न्यायालय ने कहा कि हिंदू धर्म में भगवान शिव जिन्हें काल अर्थात मृत्यु पर विजय प्राप्त करने के कारण महाकाल भी कहा जाता है। उन्होंने अर्धनारीश्वर का भी रूप धारण किया है, जिसमें आधा शरीर तो भगवान शिव का है और आधा उनकी पत्नी पार्वती का है। इससे भी हिंदू विधि में पति-पत्नी के संबंधों की पवित्रता तथा परस्पर प्रेम को समझा जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि पति पत्नी के मध्य पारस्परिक संबंधों के महत्व को भी समझा जा सकता है कि पति के बिना पत्नी अधूरी है और पत्नी के बिना पति भी अधूरा है। लेकिन इस प्रकरण में श्रवण ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी, जो कि भारतीय दंड विधान के साथ ही धार्मिक दृष्टि में भी पाप है। कहा कि प्राचीनकाल में श्रवण ने अपने माता पिता को कंधे पर बैठाकर चार धामों की यात्रा कराई थी, लेकिन दोषी श्रवण ने प्राचीनकाल के श्रवण के आचरण के विपरीत कृत्य किया है।