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अपराध की दुनिया का बादशाह था मुख्तार अंसारी, लेकिन मौत से हार गया

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राजनीति की चादर ओढ़ी…दिन-रात चढ़ता गया अपराध की सीढ़ी, कभी पीछे मुड़कर न देखा; 5 बार MLA रहा

सरकार की कहानी (जरीस मलिक)
मुरादाबाद (डेस्क)। कुख्यात अपराधियों की संगत से माफिया बना मुख्तार जरायम की दुनिया में ऐसा मजबूत कदम रखा कि पूर्वांचल ही नहीं गैर प्रांतों में भी उसके गुर्गे संगठित अपराध को अंजाम देने में खौफ नहीं खाते थे। पुलिस रिकार्ड्स के मुताबिक विरोधियों को दिनदहाड़े गैंगवार में मौत के घाट उतरवाने वाला मुख्तार अंसारी अपनी एक छवि गढ़ने के लिए राजनीति में कदम रखा था।

मुख्तार अंसारी की जेल में भी चलती थी। वह अपने गैंग का संचालन वहीं से करता था। पुलिस ने मुख्तार अंसारी के गैंग को 1997 में आईएस-191 के रूप में पंजीकृत किया था। मगर, 2004 का लोकसभा चुनाव नजदीक आया तो मुख्तार गिरोह ने खूनी खेल शुरू कर दिया।

फरवरी 2004 में कृष्णानंद राय के खास रहे अक्षय राय उर्फ टुनटुन की हत्या की गई। 26 अप्रैल 2004 को कृष्णानंद के करीबी झिनकू और फिर भाजपा कार्यकर्ता शोभनाथ राय की हत्या की गई। 27 अप्रैल 2004 को दिलदारनगर में रामऔतार की हत्या हुई।

लोकसभा चुनाव के बाद बाराचवर विकास खंड मुख्यालय पर कृष्णानंद के करीबी अविनाश सिंह पर फायरिंग की गई। अक्तूबर 2005 में एक मामले में जमानत रद्द कराकर मुख्तार जेल चला गया।

नवंबर 2005 में पूर्व विधायक कृष्णानंद राय और छह अन्य लोगों को 400 राउंड से ज्यादा फायरिंग कर मौत के घाट उतार दिया गया था। मुख्तार अंसारी के गैंग के लोग जो ठेके-टेंडर और संपत्ति चाहते थे उसे ले लेते थे, जिसका असर जनपद के विकास पर भी पड़ा।

2005 के बाद जेल से नहीं निकल सका मुख्तार

अक्तूबर 2005 में मऊ में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के दौरान दंगे भड़के और मुख्तार को जेल जाना पड़ा। इसके बाद 29 नवंबर 2005 को भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या हुई और फिर बदलती सरकारों के साथ जेलें भी बदलती रहीं, लेकिन मुख्तार अंसारी बाहर नहीं आ सका।

पांच बार रहा विधायक, खुद की भी बनाई थी पार्टी

मुख्तार अंसारी पहली बार मऊ सदर विधानसभा से 1996 में बसपा के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचा था। इसके बाद 2002 और 2007 में निर्दल विधायक बना। फिर, कौमी एकता दल के नाम से अपनी नई पार्टी बनाई और 2012 का विधानसभा चुनाव जीता।

वर्ष 2017 में मुख्तार अंसारी बसपा से चुनाव जीता। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में वह वाराणसी से बीजेपी के डॉ. मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ उम्मीदवार रहा। हालांकि, वह 17 हजार से अधिक वोटों से हार गया था।

हार्ट अटैक से माफिया मुख्तार अंसारी की मौत

करीब ढाई साल से बांदा जेल में बंद पूरब के माफिया मुख्तार अंसारी की गुरुवार देर रात हार्ट अटैक (कार्डिया अरेस्ट) से मौत हो गई। मुख्तार को मौत से करीब तीन घंटे पहले ही इलाज के लिए मंडलीय कारागार से मेडिकल कॉलेज लाया गया था। जहां नौ डॉक्टरों की टीम उसके इलाज में जुटी थी। रात करीब साढ़े दस प्रशासन ने मुख्तार की मौत की सूचना सार्वजनिक की। तब तक मुख्तार के परिवार का कोई सदस्य मेडिकल कॉलेज नहीं पहुंचा था।

गुरुवार शाम करीब साढ़े छह बजे मुख्तार की जेल में तबीयत बिगड़ी थी। इसके बाद प्रशासन के अधिकारी मौतके पर पहुंचे और करीब साढ़े आठ बजे के आसपास उसे मेडिकल कॉलेज लाया गया था। जहां दो घंटे तक उसका इलाज चला। उसे आईसीयू से सीसीयू में शिफ्ट किया गया। जहां रात साढ़े दस बजे के आसपास उसकी मौत हो गई।

तीन दिनों से बीमार चल रहे जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की तबीयत बृहस्पतिवार रात अचानक फिर बिगड़ गई। सूचना मिलते ही जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल, एसपी अंकुर अग्रवाल कई थानों की पुलिस फोर्स के साथ मंडलीय कारागार पहुंचे। करीब 40 मिनट तक अधिकारी जेल के भीतर रहे। इसके बाद मुख्तार को एंबुलेंस से दोबारा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। बताया जा रहा है कि मुख्तार को दिल का दौरा पड़ा है। रात में अस्पताल में उसका निधन हो गया।

दो दिन पहले 26 मार्च को मुख्तार ने जेल प्रशासन से पेट में दर्द की शिकायत की थी। इसके बाद उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। जहां डॉक्टरों ने ज्यादा खाने (ओवरईटिंग) व कब्ज का इलाज किया गया और 14 घंटे बाद उसी दिन देर शाम उसे वापस मंडलीय कारागार भेज दिया गया था। इधर, गुरुवार शाम साढ़े सात बजे के आसपास अचानक मुख्तार की तबीयत बिगड़ने पर प्रशासन ने आनन-फानन उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया।

मुख्तार के स्थानीय अधिवक्ता नसीम हैदर ने बताया कि मुख्तार को हार्ट अटैक पड़ने की आशंका है। प्रशासन उन्हें मुख्तार से मिलने नहीं दे रहा है। मुख्तार का परिवार भी बांदा के लिए लखनऊ से चल चुका है। इधर हालात बिगड़ने न पाए, इसके लिए जिले भर की पुलिस फोर्स को अलर्ट कर दिया गया है। जेल के भीतर भी पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है। देर रात तक डीएम और एसपी भी मेडिकल कॉलेज में मौजूद रहे और मुख्तार के सेहत की पल-पल की खबर लेते रहे।

Jarees malik

Sarkar Ki Kahani
M: 9997411800, 9719616444

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