नई दिल्ली (डेस्क)। अमेरिकी भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों के संभावित उल्लंघन की जांच मामले में दिग्गज कारोबारी गौतम अदाणी के ग्रुप की कंपनियों ने अपनी सहभागिता से इनकार कर दिया है। समूह की कंपनी अदाणी ग्रीन ने कहा है कि उसे अमेरिकी न्याय विभाग से कोई नोटिस नहीं मिला है।
कंपनी ने कहा कि उसे थर्ड पार्टी द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों के संभावित उल्लंघन की जांच के बारे में पता है। इतना ही नहीं कंपनी ने यह भी साफ कर दिया है कि उसका इस थर्ड पार्टी से कोई लेना देना नहीं है। अदाणी समूह की कंपनी का यह बयान तब आया है जब हाल ही में ब्लूमबर्ग ने अपनी एक रिपोर्ट में भारत में एक उर्जा परियोजना में रिश्वत को लेकर बड़ा दावा किया था।

ब्लूमबर्ग ने बताया था कि अमेरिका ने भारत के अदाणी समूह की अपनी जांच का दायरा बढ़ाया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कंपनी के संस्थापक गौतम अदाणी और कंपनी रिश्वतखोरी में शामिल हैं या नहीं।
इस रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह की 10 सूचीबद्ध कंपनियों ने अपनी अलग-अलग फाइलिंग में रिश्वतखोरी के आरोपों से किनारा कर लिया है। साथ ही कहा है कि इस संबंध में अमेरिकी न्याय विभाग से नोटिस दिए जाने की खबर भी झूठी है।
गौरतलब है कि कई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि अदाणी समूह की इकाई संभावित रूप से एक ऊर्जा परियोजना में भारत में अधिकारियों को भुगतान करने में शामिल थी। इसके बाद रिपोर्ट्स में कहा गया था कि अमेरिकी अभियोजकों ने इसे लेकर अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है। अभियोजक इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या गौतम अदाणी सहित अदाणी समूह की किसी इकाई या कंपनी से जुड़े लोगों ने एक ऊर्जा परियोजना के लिए भारत में अधिकारियों को भुगतान किया है?
रिपोर्ट के अनुसार न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी के कार्यालय और वाशिंगटन में न्याय विभाग की धोखाधड़ी इकाई यह जांच कर रही है। इसके साथ ही भारतीय अक्षय ऊर्जा कंपनी एज्यूर पावर ग्लोबल पर भी नजर रखी जा रही है। अदाणी समूह ने इस मामले मे ब्लूमबर्ग न्यूज को बताया, “हमें अपने चेयरमैन के खिलाफ किसी जांच की जानकारी नहीं है।”
अदाणी समूह के शेयरों और बांडों में पिछले साल की शुरुआत में बड़े पैमाने पर बिकवाली देखी गई थी। उस समय अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें समूह पर खातों में गड़बड़ी, स्टॉक्स में हेरफेर और टैक्स हेवन के उपयोग का आरोप लगाया गया था। हालांकि, भारतीय कंपनी ने इन आरोपों से इनकार करती रही है।