4.5 करोड़ डकारने वाले अर्पित सिंह पर FIR,

लखनऊ/मुरादाबाद । Uttar Pradesh के Health Department में एक ऐसा फर्जीवाड़ा सामने आया है जिसने पूरे सिस्टम को हिला कर रख दिया है। एक नटवरलाल एक ही नाम से नौ साल से छह-छह जिलों में एक्स-रे टेक्नीशियन बनकर नौकरी करता रहा और विभाग को भनक तक नहीं लगी। इसे कहते हैं यूपी का स्वास्थ्य विभाग। जिसके राज्यमंत्री ब्रजेश पाठक और डिप्टी सीएम भी है।

डिप्टी सीएम के इस विभाग की बात करें तो पैरामेडिकल डायरेक्टर डॉ. रंजना खरे ने इस घोटाले का खुलासा करते हुए लखनऊ के वजीरगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। एफआईआर में बलरामपुर, फर्रुखाबाद, बांदा, रामपुर, अमरोहा और शामली जिलों में पदस्थापित अलग-अलग “अर्पित सिंह” को नामजद किया गया है। हैरानी की बात यह है कि सभी का नाम तो एक है ही, पिता का नाम भी हर जगह अनिल कुमार सिंह दर्ज है। स्वास्थ्य विभागमें यह खेल सपा सरकार के कार्यकाल में 2016 से शुरू हुआ। उस समय एक्स-रे टेक्नीशियन के 403 पदों पर भर्ती हुई थी। इसी भर्ती के जरिए उसने एक साथ कई जिलों में तैनाती ले ली।

पिछले नौ सालों से वह विभाग को चूना लगाता रहा और अलग-अलग जिलों से हर महीने मोटा वेतन उठाता रहा। अनुमान है कि अब तक उसने करीब 4.5 करोड़ रुपए वेतन के रूप में हड़प लिए। मानव संपदा पोर्टल ने किया भंडाफोड़ लंबे समय तक विभाग को भनक तक नहीं लगी। लेकिन हाल ही में जब स्वास्थ्य विभाग ने सभी कर्मचारियों का मानव संपदा पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू किया, तो पूरी गड़बड़ी खुलकर सामने आ गई।
पोर्टल पर जब डेटा दर्ज किया गया तो एक ही नाम और पिता के नाम के साथ छह अलग-अलग जिलों में तैनाती दिखी। सिस्टम ने तुरंत अलर्ट किया और विभाग के अधिकारियों ने जांच बैठा दी एफआईआर के बाद मचा हड़कंप जांच रिपोर्ट सामने आते ही पैरामेडिकल डायरेक्टर डॉ. रंजना खरे ने वजीरगंज थाने में तहरीर दी। एफआईआर दर्ज होते ही स्वास्थ्य विभाग से लेकर प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि इतनी बड़ी हेराफेरी बिना अंदरूनी मदद के संभव नहीं है। जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि आखिर किसने अर्पित सिंह को लगातार सुरक्षा दी और किसकी मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा सालों तक चलता रहा। क्या सिर्फ अर्पित ही या और भी…? फिलहाल जांच अर्पित सिंह के खिलाफ शुरू हुई है, लेकिन सूत्र मान रहे हैं कि यह अकेला मामला नहीं हो सकता। संदेह है कि अन्य जिलों और भर्तियों में भी इसी तरह की धांधली हुई होगी।
अगर ऐसा निकला तो स्वास्थ्य विभाग में भर्ती घोटालों का बड़ा जाल सामने आ सकता है। विभाग का सख्त संदेश स्वास्थ्य विभाग ने साफ किया है कि सरकारी खजाने को लूटने वाले किसी भी कर्मचारी या अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। सभी रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं और जल्द ही कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह मामला न केवल भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि टेक्नोलॉजी से किस तरह सालों पुराना घोटाला पलभर में पकड़ा जा सकता है