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67 वर्षों में अमरोहा लोकसभा सीट से नहीं जीती कोई महिला

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17 वार हो चुका है लोकसभा चुनाव, 236 प्रत्याशियों ने अब तक आज़माई किस्मत

अब तक छह महिलाओं ने आजमाई किस्मत सभी को मिली हार

अमरोहा (डेस्क)। एक बार फिर जनता दरबार में उम्मीदवार नतमस्तक हैं। अमरोहा लोकसभा सीट के पिछले 72 साल के इतिहास में ये 18वां चुनाव है। 1952 से 2019 तक चुनाव मैदान में 236 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। इसमें आधे से अधिक निर्दलीय उम्मीदवार रहे थे।

अन्य प्रमुख राजनीतिक दल और क्षेत्रीय पार्टियों के प्रत्याशी ने संसद पहुंचने के लिए जोर लगाया था। इस बार भाजपा और बसपा ने प्रत्याशी घोषित कर दिया है। बसपा और कांग्रेस के गठबंधन में ये सीट कांग्रेस के खाते में गई है। कांग्रेस से सांसद दानिश अली की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है।

निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कौन-कौन अपना भाग्य आजमाएगा ये देखने की बात होगी। देश का पहला लोकसभा चुनाव वर्ष 1952 में हुआ था। उस वक्त अमरोहा मुरादाबाद जिले का हिस्सा था। जानकारों के मुताबिक पहले अमरोहा मुरादाबाद सेंट्रल में आता था।

लेकिन देश के दूसरे आम चुनाव में मुरादाबाद सेंट्रल को अमरोहा लोकसभा का नाम मिल गया था। वर्ष 1952 से 2019 तक अमरोहा सीट पर 17 चुनाव हो चुके हैं। 67 सालों में यहां की जनता 17 सांसद चुनकर दिल्ली भेज चुकी है।

इस बार चुना जाने वाला 18वां सांसद होगा। इससे पहले हुए चुनावों में 236 उम्मीदवार जनता दरबार में अपनी हाजिरी लगा चुके हैं। अमरोहा लोकसभा सीट पर करीब-करीब हर राजनीतिक दल ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं।

यहीं नहीं अधिकांश प्रमुख दलों को जीत भी मिली है। 236 प्रत्याशियों में से 133 निर्दलीय उम्मीदवार रहे हैं। जो कुल प्रत्याशियों की संख्या से आधे से अधिक हैं। हिफजुर्रहमान को अमरोहा की जनता ने तीन बार संसद भेजा था।

इसके अलावा इशाक संभली व चौधरी चंद्रपाल सिंह और क्रिकेटर चेतन चौहान को दो-दो बार जिताकर दिल्ली भेजा था।

1996 में सबसे अधिक उम्मीदवार

वर्ष 1996 में हुए अमरोहा लोकसभा क्षेत्र के चुनाव में सबसे अधिक उम्मीदवार चुनावी रण में अपना भाग्य आजमाने उतरे थे। ऐसा अमरोहा लोकसभा सीट पर पहली बार हुआ जब कुल 31 प्रत्याशियों ने संसद की दहलीज तक पहुंचने के लिए जोर लगाया।

खास बात यह रही कि इसमें 24 उम्मीदवार निर्दलीय थे। जबकि महिला उम्मीदवार सिर्फ एक थीं। वहीं सबसे कम तीन प्रत्याशी वर्ष 1952 के लोकसभा चुनाव में रहे थे। जबकि 1957 में चुनाव में केवल चार उम्मीदार खड़े थे।

अब तक छह महिलाओं ने आजमाई किस्मत सभी को मिली हार

लोकसभा चुनाव के इतिहास में अमरोहा लोकसभा सीट से 2019 के चुनाव तक केवल छह महिला उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई थी। सभी को हार का सामना करना पड़ा था। इसमें पूर्व मंत्री व कांठ विधानसभा सीट से विधायक कमाल अख्तर की पत्नी हुमैरा अख्तर भी शामिल रहीं। 2014 के चुनाव में हुमैरा अख्तर दूसरे नंबर पर रही थीं। जबकि भाजपा के कंवर सिंह तंवर जीते थे।

2019 के चुनाव तक 57% निर्दलीय प्रत्याशी

अमरोहा लोकसभा सीट पर 2019 तक के चुनाव में 236 उम्मीदवार उतर चुके हैं। हर राजनीतिक दल ने अपने प्रत्याशी लड़ाए हैं। इसमें सबसे अधिक निर्दलीय उम्मीदवार रहे। कुल प्रत्याशियों की संख्या का करीब 57 फीसदी निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। जिनकी संख्या 133 है।

निर्दलीय उम्मीदवार हरीश नागपाल बने थे सांसद

अमरोहा लोकसभा सीट से हर चुनाव में निर्दलियों ने अपनी दावेदारी ठोंकी है। लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत सिर्फ एक को मिली। 2004 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी हरीश नागपाल ने जीत दर्ज की थी।

Jarees malik

Sarkar Ki Kahani
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