यूनानी डाक्टर अपनी पद्धति छोड़कर एलोपैथिक दवाओं से कर रहा मरीजों का उपचार

मुरादाबाद (डेस्क)। जिले में अपंजीकृत अस्पतालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। गली मौहल्लों में कुकुरमुत्तों की तर्ज पर मकड़जाल फैल रहा है। इन अपंजीकृत अस्पतालों पर अनट्रेंड स्टाफ और अप्रशिक्षित डाक्टर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं और जिम्मेदार अफसर सुविधा शुल्क लेकर चुपचाप खेल देख रहे हैं।

जी हां, हम बात कर रहे हैं दलपतपुर-अलीगंज रोड़ स्थित गांव वीरपुर थान कि जहां अलमाज हाॅस्पिटल पिछले महीने खुला है। इस अपंजीकृत हाॅस्पिटल के संचालक डा. रियासत अली ने बताया कि वह एक यूनानी डाक्टर है और उन्हें सीएमओ कार्यालय में रजिस्ट्रेशन कराने की कोई जरूरत नहीं है। जांच की बात ये है कि डाक्टर साहब यूनानी पद्धति छोड़कर ऐलोपैथिक पद्धति में उपचार करते हैं और मरीजों को भर्ती कर रहे हैं।

अब सवाल ये उठता है कि जब डिग्री यूनानी पद्धति की है तो ऐलोपैथिक पद्धति से इलाज क्यों? जब ऐलोपैथिक पद्धति में इलाज मरीजों का किया जा रहा है तो सीएमओ दफ्तर में रजिस्ट्रेशन क्यों नहीं है? सीएमओ डा. कुलदीप सिंह और नोडल अधिकारी डा. नरेंद्र कुमार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

अलमाज हाॅस्पिटल के बोर्ड और कागजों पर डा. अजीम हुसैन का नाम ओर डिग्री लिखी है जो एमबीबीएस (जनरल फिजिशियन) बताए जाते हैं। एक एमबीबीएस डाक्टर का नाम क्यों लिखा है जब क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी कार्यालय में रजिस्ट्रेशन बताया जा रहा है? क्या मरीजों को एक एमबीबीएस डाक्टर देख रहे हैं? या फिर लोगों को सिर्फ मूर्ख बनाया जा रहा है।
असल में इस अपंजीकृत हाॅस्पिटल में न तो कोई बायोमेडिकल वेस्ट कचरें का निस्तारण मानकों के अनुसार कर रहा है और न पैरामेडिकल स्टाफ मौजूद है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि हाॅस्पिटल संचालक पहले रामपुर जिले के टांडा में अस्पताल खोले थे जहां एक महिला की जान चली गई तो वहां से रफूचक्कर होकर यहां अस्पताल खोल लिया है।

ये बोले एसीएमओ डा. नरेंद्र कुमार चौधरी
मेरे संज्ञान में अलमाज हाॅस्पिटल नहीं है और न इस नाम से रजिस्ट्रेशन है। यदि खोला गया है तो जांच कर वैधानिक कार्यवाही अवश्य की जाएगी। जिलाधिकारी और सीएमओ महोदय का आदेश है कि बिना पंजीकरण के कोई हाॅस्पिटल, न कोई पैथोलॉजी लैब और न क्लीनिक संचालित होने दिया जाएगा।
ये बोले सीएमओ डा. कुलदीप सिंह चौधरी

दलपतपुर-अलीगंज मार्ग पर खुले अस्पताल, क्लीनिक और पैथोलॉजी लैबों की जांच जल्द होगी और अपंजीकृत पर मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा। बिना पंजीकरण के कोई हाॅस्पिटल या लैब अब नहीं चलेगी।