अपंजीकृत अस्पतालों में बेखौफ होकर कर रहें चीरफाड़
जानकर भी अनजान बन रहा स्वास्थ्य विभाग
मुरादाबाद(डेस्क)। स्वास्थ्य विभाग की मेहरबानी से झोलाछाप डॉक्टरों का एक गिरोह फर्जी डिग्रियां बनाकर सर्जन के रुप में सक्रिय है। मुरादाबाद, रामपुर, अमरोहा और संभल में ये गैंग अस्पतालों में जाकर हर तरह के ऑप्रेशन करता है। पिछले दिनों इस गैंग का एक सदस्य को रामपुर की थाना सिविल लाइंस पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इस धरपकड़ से हड़कंप मचा है। लेकिन सेहत महकमा गहरी नीद में है।

कुछ दिनों से अब रामपुर में इस गैंग के झोलाछाप सर्जनों ने अपनी एंट्री बंद कर अमरोहा, मुरादाबाद और संभल की ओर कदम बढाए़ थे। जोया हॉस्पिटल में एक मरीज का केस बिगड़ने पर फिर मामलें ने तूल पकड़ा तो गुस्साए लोगों ने अस्पताल में तोड़फोड़ के बाद सड़क पर खुलेआम आप्रेशन करने वाले झोलाछाप सर्जन वसीम की जमकर धुलाई कर दी। असल में मरीज सस्ते के लालच में अपंजीकृत अस्पताल में भर्ती हो जाते है जिसका फायदा ये गैंग और अपंजीकृत अस्पताल उठाते है।
इस फर्जीवाड़े का खुलासा अमरोहा के जोया में उस वक्त हुआ जब कुछ प्रशिक्षित चिकित्सकों ने वसीम की एमबीबीएस और एमएस की डिग्रियां देखी। जिस फर्जी सर्जन की डिग्रियां सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है वह बरेली के शखरस का रहने वाला है। वसीम पुत्र सद्दीक की एक वीडियो भी आप्रेशन करते हुए वायरल हो रही है जिसमें एक महिला का आप्रेशन झोलाछाप सर्जन बेखौफ होकर करता दिखाई दें रहा है।

सूत्रों से जानकारी मिली है कि मुरादाबाद और संभल में नरेंद्र कुमार और नेहा नामक महिला सर्जन फर्जी डिग्री की आड़ में अपंजीकृत अस्पतालों पर जाकर चीरफा़ड कर मरीजों की जिंदगी से खेल रहें है। चंद रुपयों की खातिर कभी कभी जान में मरीज की लेने से कोई गुरेज नहीं करते। नरेंद्र कुमार रामपुर के बिलासपुर और नेहा मेरठ की रहने वाली है।

मुरादाबाद स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ये है कि दलपतपुर अलीगंज रोड़ स्थित करनपुर में डा. रफत एक अपंजीकृत अस्पताल वर्षों से खोले है जिसमें ओटी तक संचालित है। राशिद जो जेल गया था वह रफत का रिश्तेदार है इसलिए लाइफ लाइन हॉस्पिटल में वह ही सर्जरी करता है। एक महिला की मौत पर डा संजीव बेलवाल ने इसको सात तालों में बंद किया था और एफआईआर भी लिखाई थी। लेकिन घूस लेकर फिर खोल दिया गया। आज भी खुलेआम रफत आप्रेशन नरेंद्र और नेहा से करवाता है।
ये गैंग अपने होम जनपद में सक्रिय नही रहती बल्कि अन्य जनपदों में सर्जन बनकर मरीजों को मौत की नीद सुला देती है। नशे का इंजेक्शन भी ये झोलाछाप डाक्टर खुद ही लगाते है और करीब 3 से 5 हजार एक आप्रेशन के संचालक से लेते है।
स्वास्थ्य विभाग अस्पताल तो सील करता है? एफआईआर तो करवाता है? और ताले तोड़ने की अनुमति भी देता है? लेकिन आज तक उस झोलाछाप डाक्टर या टेक्नीशियन के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कराता जिसने मरीज को मारा है। जिसने बच्चों को अनाथ किया है?
ये बोले सीएमओ डा. कुलदीप चौधरी
इस गैंग के सदस्यों के खिलाफ कार्यालय में कोई शिकायत नहीं आई है इसलिए बचें है जिस दिन शिकायत मिल जाएगी अवश्य कार्यवाही होगी। करनपुर के लाइफ लाइन अपंजीकृत अस्पताल की मैं पुनः टीम भेजकर जांच के आधार पर एक्शन लूंगा। किस तरह खुला इसकी जांच की जाएगी।