सुविधा शुल्क बटोरने के लिए स्वास्थ्य विभाग कर रहा लाॅक-अनलाॅक का बड़ा खेल
किस आधार पर टूटें रहमत हेल्थ केयर के तालें
मुरादाबाद(डेस्क)। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. कुलदीप चौधरी ने कार्यभार संभालते ही एक आईएएस अधिकारी की तर्ज पर धड़ाधड़ अपंजीकृत अस्पताल, पैथोलॉजी लैब, अल्ट्रासाउंड सेंटर और क्लीनिकों पर जानदार कार्यवाही कर सुर्खियां बटोरी थी। उनके एक्शन मोड़ को देखकर लगता था कि अब स्वास्थ्य विभाग का कमजोर सिस्टम, दिखावटी कार्यवाही पूरी तरह बंद हो जाएगी। लेकिन ऐसा कुछ महीने तक चला और फिर पुराने ढर्रे पर सेहत महकमा लौट आया और फिर बड़े पैमाने पर सुविधा शुल्क का खेल शुरू हो गया।

विभागीय रिकार्ड की मानें तो महकमें में एसीएमओ डा. नरेंद्र चौधरी ने अब तक सैकड़ों अपंजीकृत अस्पताल, पैथोलॉजी लैब और क्लीनिकों को तालें लगाए है जो अब टूट चुकें हैं। ऐसा नहीं है कि जिन पर कार्यवाही की गई वह पंजीकरण कराकर अपनें अस्पताल, पैथोलॉजी लैब और क्लीनिकों को पुनः खोलकर बैठें हैं। सवाल ये है कि जब वसूली करनी ही थी तो दिखावटी कार्यवाही ही क्यों? संबंधित थानों में मुकदमें दर्ज ही क्यों?

ऐसे सैंकड़ों उदाहरण है जिनका स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के पास सिर्फ एक ही रटा रटाया जबाव है कि हमनें तालें तोड़ने की लिखित अनुमति नहीं दी। संबंधित थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है अब पुलिस जाने! जबकि सच्चाई यहीं है कि सुबह को तालें लगाएं जाते हैं और शाम को सुविधा शुल्क लेकर रात में तोड़ने का इशारा दिया जाता है।

पहला उदाहरण: थाना मझोला क्षेत्र के करुला पीर का बाजार रोड़ स्थित झोलाछाप डॉक्टर परवेज का रहमत अस्पताल है। जिसको एसीएमओ ने तहसीलदार और पुलिस बल की मौजूदगी में कई तालें लगाए और संबंधित थाने में रिपोर्ट भी दर्ज कराईं। कारण ये था कि अस्पताल अपंजीकृत था। एक सप्ताह बाद तारें टूट गये और पुनः अपंजीकृत अस्पताल शुरू हो गया।
दूसरा उदाहरण: महमूदपुर माफी के ईशा गढ़ तिराहा स्थित चिराग हेल्थ केयर का है जो अपंजीकृत है एक महिला की मौत हुई और कार्यवाही शून्य रही। तीन दिन बाद पुनः बिना रजिस्ट्रेशन के खुल गया। झोलाछाप डॉक्टर ने यहा आप्रेशन किया था।

तीसरा उदाहरण: संभल रोड़ के नगलिया अड्डे पर ख्वाजा पैथोलॉजी लैब सील की गई और सुबह तालें तोड़कर पुनः खोल ली गई। सिटी पैथोलॉजी लैब जो गांगन तिराहा संभल रोड़ पर अपंजीकृत थी सील की गई और दो दिन बाद तालें तोड़ दिए गए।
चौथा उदाहरण: करुला जयंतीपुर रोड़ स्थित न्यू लाइफ लाइन पैथोलॉजी लैब सील की गई और सुबह ताले तोड़ दिए गए जबकि लैब अपंजीकृत थी उसी बिल्डिंग में अस्पताल संचालित है उसको अपंजीकृत होने के बावजूद क्लीनचिट दी गई। ऐसे सैंकड़ों रिकार्ड विभाग में मौजूद हैं जिन पर सुबह कार्यवाही हुई और रात होने तक क्लीनचिट दी गई।

पांचवां उदाहरण: संभल रोड़ स्थित नगलिया अड्डे पर वजरुददीन हेल्थ केयर को एसीएमओ ने सील किया था इसका भी रजिस्ट्रेशन नहीं था एक पैथोलॉजी लैब जीवन के नाम से संचालित थी। इस संबंध में एफआईआर भी दर्ज कराईं गई। लेकिन आज तारें तोड़ दिए गए। लैब दूसरी जगह खुल गई। इसकी पुष्टि संचालक डा. माजिद ने फोन पर की।
आम चर्चा: अस्पताल, पैथोलॉजी लैब संचालकों का कहना है कि जब तक वसूली का खेल बंद नहीं होगा तब तक हम यूंही पैसों के दम पर अपंजीकृत अस्पताल पैथोलॉजी और क्लीनिक संचालित करते रहेंगे। हर अधिकारी खरीदा जा सकता है कीमत सहीं होनी चाहिए। कुछ संचालकों का कहना है कि रात-दिन छापेमारी करने की क्या जरूरत है स्वास्थ्य विभाग की टीम को, हम तो सुविधा शुल्क देने के लिए हमेशा तैयार है बस कार्यवाही नहीं होनी चाहिए। थोड़ा सब्र कीजिए कुछ दिनों बाद डा. सलमा नासिर हेल्थ केयर करुला पर जो सील किया गया है वह भी खुल जितेगा। ऐसा लोगों का कहना है।
ये बोले एसीएमओ डा नरेंद्र चौधरी

स्वास्थ्य विभाग की और से रहमत क्लीनिक और वजरुददीन हेल्थ केयर पर सील लगाकर एफआईआर दर्ज कराई थी। अब सील तोड़कर अस्पताल खोल लिए गये तो पुलिस अगली कार्रवाई करेगी। राजनीतिक दवाब लगातार आ रहा था लेकिन लिखित में आज भी दोनों अस्पताल रिकार्ड में सील है।
