चमरौआ गांव में राशन डीलर के सामने घर में संचालित हो रही अपंजीकृत लैब
मुरादाबाद। हमेशा मनमर्जी से लाॅक -अनलाॅक करने वाला स्वास्थ्य विभाग अब जिलाधिकारी के आदेश को ठेंगा दिखाने लगा है। उसकी नज़र में उच्च अधिकारियों का कोई आदेश मायने नहीं रखता। इसलिए तो पिछले एक सप्ताह से स्वास्थ्य विभाग के टीमें अपंजीकृत अस्पताल पैथोलॉजी लैब और क्लीनिकों को अपनी मनमर्जी से लाॅक -अनलाॅक कर रहें हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है।

मामला मूंढापांडे ब्लाॅक के गांव चमरौआ से जुड़ा है। यहां अपंजीकृत रुप से घर में ही सेवा पैथोलॉजी लैब संचालित हो रही है। अनट्रेंड युवक और झोलाछाप डॉक्टर डोर टू डोर जाकर मरीजों का खून निकाल कर ग़लत रिपोर्ट बना रहे हैं। संचालक कामरान उल हक और शफीउर रहमान बड़ी चतुराई से इस अपंजीकृत पैथोलॉजी लैब को ऑपरेट कर रहें हैं।

पूर्व में दलपतपुर में केजीएन पैथोलॉजी लैब से अपंजीकृत लैब संचालित थी जिसको एसीएमओ संजीव बेलवाल ने सील किया था। लेकिन सांठगांठ करके संचालक ने सील तोड़ दी और लैब का सभी सामग्री निकाल कर गांव चमरौआ में खोल दी। धोखा देने के लिए लैब का नाम सेवा पैथोलॉजी लैब रख दिया।
इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग की ओर से थाने में तहरीर भी दी गई थी। लेकिन पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। जिलाधिकारी अनुज सिंह को सील तोड़ने वालो के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की जरूरत है। वरना सेहत महकमे के अधिकारी अपंजीकृत लैबों को सील करते रहेंगे और सांठगांठ कर तोड़ने की मौखिक अनुमति देकर सुविधा शुल्क वसूलते रहेंगे।
सेवा पैथोलॉजी लैब पर कार्रवाई इसलिए भी होनी चाहिए कि यहां बायोमेडिकल वेस्ट का कचरा खुले में फैंका जा रहा है। जिससे गांव में बीमारी फैलने की आशंका है। बरसात के मौसम में ज्यादातर बीमारी ही जन्म लेती है।