जुम्मा वाली मिलक, डूंगरपुर चौराहा निकट प्रथमा बैंक, दलपतपुर रोड़, मुरादाबाद का मामला
मुरादाबाद। स्वास्थ्य विभाग की टीमे भले ही मुरादाबाद में छापेमारी कर अस्पताल, पैथोलॉजी लैब और क्लीनिकों को लाॅक -अनलाॅक करने का दम भर रही हो लेकिन असल में सच्चाई कुछ और है। छापेमारी के दौरान टीम के इंचार्ज उसी लैब, अस्पताल या क्लीनिक को लाॅक करते हैं जहां से सुविधा शुल्क नहीं मिलता। उन्हें इस बात से कोई सरोकार नहीं कि अपंजीकृत है? डाक्टर है की नहीं? बायोमेडिकल वेस्ट कचरें का निस्तारण मानक अनुसार हो रहा है कि नहीं? ऐसा ही एक मामला केजीएन पैथोलॉजी लैब का सामने आया है। जो दलपतपुर रोड़ स्थित जुम्मा वाली मिलक डूंगरपुर चौराहा प्रथमा बैंक के पास संचालित हो रही है।
बिना पंजीकरण के खुली इस पैथोलॉजी लैब पर खुलेआम मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। स्वास्थ्य विभाग की मेहरबानी इस लैब संचालक पर कुछ ज्यादा ही है। इसलिए डोर टू डोर जाकर अनट्रेंड युवक मरीजों का खून निकाल कर बीमारी की रिपोर्ट बनाकर झोलाछाप डाक्टरों के द्वारा इलाज कराने का दम भरते हैं।
बायोमेडिकल वेस्ट कचरें का निस्तारण यहां खुलें में कूड़े के ढेर पर किया जाता है या बहते पानी या नाली में फैंक दिया जाता है। संचालक से जब इस संबंध में जानना चाहा तो उसने बताया कि मुरादाबाद मात्र 60 पैथोलॉजी लैबों का पंजीकरण है करीब दस हजार अपंजीकृत चल रही है। जबकि हम समय पर स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी को सुविधा शुल्क देकर आते हैं। जिलाधिकारी अनुज सिंह खुद इस बात से अंदाजा लगा लें कि स्वास्थ्य विभाग किस तरह भ्रष्टाचार की जंजीरों में जकड़ा है और सुविधा शुल्क लेकर अपंजीकृत अस्पताल, पैथोलॉजी लैब और क्लीनिकों का मकड़जाल फ़ैलाने में झोलाछाप डॉक्टरों की भरपूर मदद करता है। तो इन हालातों में सरकार कैसें स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होने का दम भर सकती है।