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लखनऊ: नशे में गाड़ी चलाने वाले डॉक्टर के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा

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दुर्घटना में मारे गए युवकों के परिवार को न्याय दिलाने की कोशिश जारी।

कार से बाइक सवार दोस्तों को रौंदने वाले किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के जूनियर रेजीडेंट पर दर्ज केस में सोमवार को पुलिस ने गैर इरादतन हत्या की धारा बढ़ाई। दोपहर बाद उनको कोर्ट में पेश किया। वहां से वह जेल भेजे गए। पुराना हैदराबाद निवासी प्रेम निषाद पांच अक्तूबर की रात निशातगंज के रहने वाले दोस्त मृत्युंजय शुक्ला उर्फ पार्थ के साथ घर के पास हो रहे देवी जागरण में गए थे। देर रात वह हनुमान सेतु के पास से फूल खरीदकर लौट रहे थे। नटबीर बाबा मंदिर के सामने तेज रफ्तार कार ने सामने से टक्कर मार दी थी। हादसे में दोनों की मौत हो गई थी। पुलिस ने मूलरूप से मऊ निवासी कार चालक केजीएमयू के डॉ. वैभव अग्रवाल को गिरफ्तार किया था।

महानगर इंस्पेक्टर अखिलेश कुमार मिश्र ने बताया कि आरोपी को जेल भेजा गया है। पहले मामले में लापरवाही से गाड़ी चलाना, जिससे किसी की जान चली जाए, उस धारा में केस दर्ज किया गया था। विवेचना के दौरान मामले में गैर इरादतन हत्या की धारा बढ़ाई गई। इसमें दस साल की सजा का प्रावधान है। यही वजह है कि आरोपी को जेल भेजा गया। जो धाराएं पहले लगी थीं, उसमें सात साल से कम की सजा का प्रावधान था। उसमें आसानी से जमानत मिल जाती।

इसलिए बढ़ाई गंभीर धारा
इंस्पेक्टर ने बताया कि मेडिकल रिपोर्ट में पुष्टि हो गई थी कि आरोपी चालक वैभव अग्रवाल ने शराब पी रखी थी। जांच में सामने आया कि हादसे के वक्त कार की रफ्तार काफी अधिक थी। इन दोनों वजहाें से केस में गंभीर धारा बढ़ाई।

सपने टूटे, दो परिवारों को मिला जिंदगी भर का गम
हादसे ने दो परिवारों के सपनों को चकनाचूर कर दिया। ऐसा गम दिया जो जिंदगी भर न भूल पाएंगे। ये गम हर वक्त चुभेगा। एक परिवार के सामने तो आर्थिक तंगी की स्थिति भी पैदा कर दी है। अब सवाल है कि जिस शख्स पर परिवार का खर्च निर्भर था, उसकी मौत के बाद आखिर परिवार कैसे चलेगा? दोनों पीड़ित परिवारों से अमर उजाला ने बातचीत की।

पहले पिता और अब बेटा, तबाह हो गया परिवार
पार्थ शुक्ला के परिवार में मां पूजा और बड़ी बहन अनन्या है। उनके पिता अमित का दस साल पहले निधन हो चुका है। अब सिर्फ उसकी मां और बहन बची हैं। मां एक एनजीओ में काम करती हैं। उसकी दादी दुर्गेश ने कहा कि पहले मेरा बेटा चला गया और अब पोता। पूरा परिवार तबाह हो गया। उन्होंने बताया कि पार्थ के बहुत सारे सपने थे। उसको क्रिकेट और हॉकी पसंद था। केडी सिंह बाबू स्टेडियम में खेलने जाता था। वह आगे चलकर व्यापार करना चाहता था। लेकिन, एक पल में पार्थ और उसके सपने खत्म हो गए। सोमवार को पार्थ का 18वां जन्मदिन था। इसके ठीक एक दिन पहले उसकी मौत हो गई। परिजनाें ने बताया कि उसने कपड़े लेने के लिए पैसे लिए थे। केक काटकर जन्मदिन मनाने की तैयारी थी, पर सबकुछ धरा रह गया।

बीमार पिता का मददगार बेटा चला गया
प्रेम निषाद खाटू श्याम मंदिर के पास नाव चलाते थे। उसी से घर का खर्च चलता था। उनके पिता शिव शंकर लाल पेंटर थे लेकिन कुछ साल पहले काम के दौरान वह गिर गए थे। इससे उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई थी। इसलिए अब वह काम नहीं कर पाते थे। परिवार में प्रेम की मां गौरी, छोटा भाई कार्तिक व दो बहने हैं। पूरा खर्च प्रेम ही उठाता था। पिता ने बताया कि शनिवार सुबह ही एक शख्स डूबने लगा था, जिसको बेटे ने बचाया था। क्या पता था कि कुछ ही घंटे बाद बेटा ही चला जाएगा।

Jarees malik

Sarkar Ki Kahani
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