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बहराइच हिंसा: लाइसेंसी बंदूक से रामगोपाल की हत्या, सीढ़ी के पास आरोपियों ने किया हमला

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आरोपी ने नेपाल में ली शरण, पुलिस की सख्त कार्रवाई की तैयारी

बहराइच के महसी क्षेत्र में 13 अक्तूबर को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान भारी हिंसा हुई थी, जिसमें रेहुवा मंसूर गांव निवासी 24 वर्षीय रामगोपाल मिश्रा की हत्या कर दी गई थी। वारदात में अब्दुल हमीद और उसके दोनों बेटे सरफराज उर्फ रिंकू उर्फ सलमान, फहीम के अलावा राजा उर्फ साहिर, ननकऊ, मारुफ व अन्य चार अज्ञात पर केस दर्ज किया गया है। एक भी नामजद आरोपी अब तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।

बहराइच में तैनात एक पुलिस अफसर के मुताबिक, अब्दुल हमीद और उसके दोनों बेटे नेपाल भाग गए हैं। वहां उनके कई रिश्तेदार रहते हैं। उनके घर पर ही शरण ली है। पुलिस उनके परिचितों से पूछताछ कर जानकारी जुटा रही है।

सीढ़ी के पास पहुंचते ही मारी गोली, फिर टूट पड़े
गोपाल ने पहले छत पर झंडा लगाया और फिर पीछे सीढ़ी के पास पहुंचा। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, उसी दौरान उस पर अब्दुल हमीद ने अपनी लाइसेंस बंदूक से गोली दाग दी। पूरे शरीर में छर्रे लगे। गोपाल खून से लथपथ होकर गिर गया। इसके बाद उसपर सभी आरोपी टूट पड़े। धारदार हथियार से वार कर बर्बरता की। गोपाल के भाई और उसके साथी उसको मरणासन्न हालत में वहां से बाहर निकाल रहे थे तब भी आरोपी उस पर पथराव कर गोलियां चला रहे थे, जिसका वीडियो भी सामने आया है। पुलिस ने शस्त्र लाइसेंस की जानकारी जुटा निरस्तीकरण की रिपोर्ट भेजी है।

हजारों की भीड़, पुलिस भी और भाग गए आरोपी
गोपाल की जब हत्या की गई थी तब हजारों की भीड़ मौके पर जमा थी। सभी लोग शोभायात्रा में शामिल थे। पुलिस भी मौजूद थी, लेकिन हैरानी यह है कि तब भी आरोपी वहां से भाग गए। ये बात किसी के गले नहीं उतर रही है। कुछ लोगों ने बातचीत में बताया कि जब हत्या की गई, उसके कुछ देर बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इससे लोग तितर बितर हो गए। उसी दौरान आरोपी भाग गए। अब ये इत्तेफाक है या फिर साजिश, लोग समझ नहीं पा रहे हैं।

राजनीतिक कनेक्शन भी आ रहा सामने
मामले में एक बड़ी जानकारी सामने आई है। मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद बहराइच के एक बड़े क्षेत्रीय पार्टी के नेता का रिश्तेदार है। सूत्रों के मुताबिक राजनीतिक संरक्षण की वजह से आरोपी के हौसले बढ़े थे। यही नहीं, वारदात के बाद भी मदद करने की आशंका है। इन्हीं कड़ियों को जोड़ने के लिए पुलिस आरोपियों की कॉल डिटेल खंगाल रही है। उन्हें शरण देने वालों पर भी कार्रवाई होगी।

दो दिन बाद बहराइच शांत, तनाव भी
हिंसा की आग में दो दिन धधकने के बाद बहराइच में मंगलवार को तीसरे दिन पूरी तरह शांति रही। हालांकि, लोगों में दहशत और तनाव कायम है। पूरे नगर में पुलिस और पीएसी मुस्तैद रही। अधिकारी गश्त करते रहे। दोपहर बाद दुकानें भी खुलीं। इस बीच एहतियातन इंटरनेट सेवा बाधित रखी गई है। देर शाम रामगोपाल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी सामने आई, रिपोर्ट के मुताबिक, शरीर पर 35 छर्रे लगे थे। धारदार हथियार से वार कर करंट भी लगाया गया था। इससे शॉक एंड हेमरेज से उनकी मौत हो गई थी।

बहराइच के महसी तहसील के महराजगंज कस्बे में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस के दौरान हुए विवाद और रामगोपाल मिश्रा की हत्या के बाद शुरू हुआ बवाल सोमवार रात तक चला। इस दौरान शिवपुर, राजीचौराहा, भगवानपुर, खैरा बाजार समेत अन्य स्थानों पर तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं हुईं थीं। मंगलवार को तीसरे स्थिति सामान्य रही। दुकानें खुलीं और लोग भी घरों से बाहर निकले। प्रभावितों को प्रशासन ने राशन भी वितरित किया।

सड़कों और कस्बे से मलबा किया साफ
हंगामे के दौरान वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था। दुकानों व घरों में भी तोड़फोड़ की गई थी। मंगलवार को इन सभी मलबों को साफ कराया गया।

चप्पे-चप्पे पर पुलिस, महसी में अधिकारियों का जमावड़ा
महसी तहसील क्षेत्र में पीएसी व पुलिस के जवान तैनात रहे। चौराहों पर भी कड़ा पहरा रहा। एडीजी गोरखपुर जोन केएस प्रताप, कमिश्नर शशि भूषण लाल, डीआईजी अमरेंद्र प्रसाद सिंह, डीएम मोनिका रानी, एसपी वृंदा शुक्ला समेत आला अधिकारी महसी तहसील क्षेत्र में गश्त करते रहे। डीएम व एसपी ने महसी में भी कैंप किया। नेपाल बॉर्डर पर भी अधिकारी पहुंचे और सुरक्षा व्यवस्था परखी।

क्या है पूरा मामला
बहराइच की महसी तहसील के महराजगंज कस्बे में रविवार शाम को गाने को लेकर हुए विवाद के बाद दूसरे समुदाय के युवकों ने पथराव शुरू कर दिया। इससे दुर्गा प्रतिमा खंडित होने पर पूजा समिति के सदस्यों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया तो दूसरे समुदाय के लोग रामगोपाल मिश्रा (24) को घर के अंदर घसीट ले गए और गोली मार दी।  घटना का पूरे जिले में विरोध शुरू हो गया था। विसर्जन कमेटी के लोगों ने बहराइच-सीतापुर हाईवे पर चहलारी घाट पुल के पास जाम लगा प्रदर्शन शुरू कर दिया। बहराइच-लखनऊ हाईवे भी जाम कर दिया गया। 

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प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रविवार शाम महसी तहसील की प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाया जा रहा था। महराजगंज कस्बे में पहुंचने पर कस्बा निवासी दूसरे सामुदाय के कुछ लोग मौके पर पहुंचे और गाली गलौज शुरू कर दी। प्रतिमा के साथ चल रहे लोगों ने इसका विरोध किया तो छतों से पथराव शुरू कर दिया गया। इस पर समिति के सदस्य प्रदर्शन करने लगे तो दूसरे सामुदाय के हजारों लोगों की भीड़ मौके पर पहुंची और उपद्रव शुरू कर दिया। सूचना पर भारी पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची।

पूजा समिति सदस्यों का आरोप है कि एसओ मौके पर मौजूद नहीं थे। प्रदर्शन शुरू हुआ तो पुलिस ने विसर्जन में शामिल लोगों पर ही लाठीचार्ज कर दिया, जिससे भगदड़ मच गई और दूसरे समुदाय के लोग रामगोपाल को उठा ले गए और उसकी हत्या कर दी।

Jarees malik

Sarkar Ki Kahani
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