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हवाला नेटवर्क और नकली दवाओं के काले कारोबार का खुलासा, विजय गोयल के तार गांजा तस्करों से जुड़े

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दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल से मंगवाया जा रहा था दवाओं का कच्चा माल, 4 महीने से चल रही थी फैक्टरी

आगरा का दवा माफिया विजय गोयल नशे और नकली दवाओं का अवैध कारोबार हवाला से चला रहा था। जेल में बंद गांजा तस्कर से रकम लेने के साथ ही माल खपाने तक में अवैध तरीके से धन ले रहा था। उसने अपराध से मशीनरी और संपत्तियां अर्जित की हैं। एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स सरगना की संपत्तियों को चिह्नित करने के बाद सफेमा (स्मगलर्स एंड फाॅरेन एक्सचेंज मैनिपुलेटर्स अधिनियम 1976) के तहत जब्तीकरण की कार्रवाई करेगा।

एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) ने सिकंदरा औद्योगिक क्षेत्र में 22 अक्तूबर को एक फैक्टरी पकड़ी थी। इसमें नकली और नशे की दवाएं बन रही थीं। पुलिस ने सरगना विजय गोयल सहित 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में पता चला था कि 4 महीने से फैक्टरी संचालित हो रही थी। दवाओं के लिए कच्चा माल और मशीनरी दिल्ली, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से लाया जा रहा था।

नकली और नशे की दवाओं की सप्लाई उत्तर प्रदेश के जिलों के साथ ही दिल्ली, पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल तक हो रही थी। पुलिस ने आरोपी विजय गोयल से पूछताछ की। इसके बाद कई महत्वपूर्ण जानकारी हाथ लगी हैं।
एएनटीएफ के सीओ इरफान नासिर खान ने बताया कि दवा माफिया पूरा कारोबार हवाला की रकम से चला रहा था। जेल में बंद विशाल अग्रवाल ने उसे हवाला से ही 30 लाख रुपये दिलवाए थे। इसके बाद अपनी हिस्सेदारी कर ली थी। विजय गोयल ने इस रकम से मशीनरी खरीदी।

बड़ी मात्रा में माल के बिल नहीं होते थे, जो लोग खरीदते थे, वह भी अवैध तरीके से माल ले रहे थे। इसका भुगतान हवाला से ही करते थे। इसके प्रमाण मिल गए हैं। इसलिए आरोपी की संपत्ति को दिल्ली के सफेमा के तहत जब्त किया जाएगा। आरोपी की गाड़ी, मशीनरी और घर पर जब्तीकरण की कार्रवाई होगी।

नहीं पकड़े जा रहे खरीदार
एनएनटीएफ ने 10 लोगों को गिरफ्तार किया। सरगना भी हाथ आ गया। मगर, दवाओं के प्रमुख खरीदार काैन हैं, इसका पता नहीं चल सका। नशे की दवाएं पंजाब तक जा रही थीं। फुटकर से थोक व्यापारी तक शामिल हैं। मगर, कोई पकड़ा नहीं जा सका। एक साल पहले भी दो फैक्टरियां पकड़ी गई थीं। बांग्लादेश तक दवाओं की सप्लाई की जानकारी मिली थी। मगर, कार्रवाई सिर्फ माैके पर मिले आरोपियों तक ही सिमटकर रह गई। अन्य कोई नहीं पकड़ा गया।

Jarees malik

Sarkar Ki Kahani
M: 9997411800, 9719616444

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