//

बरेली में युवक हत्या मामले में आरोपी भाई-भतीजे को मृत्युदंड

20 mins read

बरेली कोर्ट का कड़ा फैसला: हत्या के दोषियों को मृत्युदंड और एक लाख रुपये जुर्माना

बरेली में जमीन विवाद में गोली मारने और धारदार हथियार से युवक का गला काटकर हत्या करने के मामले में दोषी सगे भाई और भतीजे को अपर सत्र न्यायाधीश (त्वरित न्यायालय) प्रथम रवि कुमार दिवाकर ने मृत्युदंड की सजा सुनाई है। साथ ही दोनों पर एक-एक लाख रुपये जुर्माना लगाया है। दस साल पूर्व दोषियों ने घटना को अंजाम दिया था। हत्या में प्रयुक्त तमंचा, फरसा ने साक्ष्य और बुआ फूफा की गवाही ने अहम भूमिका निभाई है। न्यायालय ने सजा सुनाते समय श्रीरामचरितमानस का जिक्र करते हुए कहा कि दोषियों ने भगवान श्रीराम के भाइयों के आचरण के विपरीत जाकर कृत्य किया है। ऐसे दयाहीन सिद्धदोषों का जीवित रहने से बेहतर है कि उनको मृत्युदंड देकर मृत्यु दी जाए। इससे समाज में सकारात्मक संदेश जाएगा।

दोषियों का दोष गत 21 दिसंबर 2024 को ही सिद्ध हो गया था। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता दिगंबर सिंह और सौरभ तिवारी ने बताया कि मंगलवार को न्यायालय के समक्ष दोषसिद्ध दोषियों की पत्रावली दंड के लिए पेश की गई। इस दौरान अपर सत्र न्यायाधीश त्वरित न्यायालय रवि कुमार दिवाकर ने कहा कि पशुवत हत्या करने वाले व्यक्ति को न्यायालय की ओर से समुचित दंड नहीं दिया जाता है तो इससे समाज में गलत संदेश जाता है। दया एक मानवीय गुण है, लेकिन इस मामले में दोषियों में इसका घोर अभाव है।

श्रीरामचरितमानस का किया जिक्र 
उन्होंने श्रीरामचरितमानस का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय समाज में सतयुग में भगवान श्रीराम भी हुए हैं। जिनके साथ भाई लक्ष्मण ने भी वनवास काटा। जबकि भाई लक्ष्मण को वनवास काटने को नहीं कहा गया था। भगवान राम के वनवास जाने के दिन पूर्व ही राज्यभिषेक होना था। जोकि किसी व्यक्ति के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि होती है। लेकिन भगवान श्रीराम को पिता के वचन के कारण राज्याभिषेक भी बंधनकारी लग रहा था। जज ने कहा कि भाई भरत ने तो 14 वर्ष तक भगवान श्रीराम की अनुपस्थिति में भगवान श्रीराम की खड़ाउ रखकर आयोध्या राज्य का संचालन किया। कहा कि एक भाई भरत हैं जिन्होंने राजपाठ को लेने से मना कर दिया, क्योंकि उस अयोध्या राज्य पर तो भगवान श्रीराम को राजपाठ करने का अधिकार प्राप्त था। लेकिन इस मामले में तो सिद्धदोष रघुवीर सिंह मृतक चरन सिंह का सगा भाई है। उल्लेखनीय है कि भगवान श्रीराम को रघुवीर के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन दोषसिद्ध रघुवीर सिंह ने सतयुग भाइयों के आचरण के विपरीत कृत्य किया है। मृत्युदंड से ही ऐसे व्यक्तियों से समाज को मुक्ति दिलाई जा सकती है।

ऐसे तो कोई भी भाई संपत्ति के लालच में कर देगा भाई की हत्या
न्यायालय ने कहा कि अगर ऐसे व्यक्तियों को मृत्युदंड नहीं दिया जाता है, तो कोई भी भाई मात्र संपत्ति के लालच में भाई की निर्मम हत्या कर देगा। यह घटना भाई-भाई के रिश्ते को भी तार-तार करती है।

विवेचना में एफआईआर दर्ज कराने वाला ही निकला मुख्य आरोपी
घटना 20 नवंबर 2014 को बहेड़ी थाने के ग्राम भोजपुर में हुई थी। रघुवीर सिंह ने पुलिस को दी शिकायत में बताया था कि उसका छोटा भाई चरन सिंह मीरगंज थाना क्षेत्र में मामा भूप सिंह के यहां करीब आठ वर्ष से रह रहा था। मामा की कोई संतान नहीं थी। मामा ने सारी संपत्ति उसकी मां सोमवती के नाम पर कर दी थी। उसका भाई चार दिन पूर्व ही घर आया था। आरोप लगाया था कि जमीन नाम होने से थाना मीरगंज के गांव हल्दी निवासी उसके बड़े मामा का लड़का हरपाल इस बात से रंजिश मानता था। शाम साढ़े छह बजे हरपाल उसका अन्य साथी धारदार हथियार से चरन की हत्या कर भाग रहे थे। रोकने का प्रयास किया तो हवाई फायर करते हुए भाग निकले। लेकिन जब विवेचना की गई तो रघुवीर और उसके बेटे का ही नाम सामने आया था ।

Jarees malik

Sarkar Ki Kahani
M: 9997411800, 9719616444

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Latest from Blog