फिरौती के लिए साजिश: हत्या के बाद शव को उत्तराखंड सीमा पर फेंकने की योजना
बांदा निवासी अंडा कारोबारी हरीश कटियार ने यातना के 96 घंटों का दर्द बयां किया तो लोग अवाक रह गए। कहा कि वह जिस भाई की हमेशा मदद करते रहे, उसी ने उनकी जान खतरे में डाल दी। आरोपी उनको पानी की जगह शराब पिलाते थे। बक्से में सुलाया जाता था। फिरौती नहीं मिलने पर उनकी हत्या कर शव को बक्से में रखकर उत्तराखंड सीमा पर फेंकने की साजिश रची गई थी। हरीश के मुताबिक, जब उन्हें अगवा किया गया तो उन्होंने शोर मचाया। इस पर आरोपियों ने उनके सिर पर तमंचा सटाकर जान से मारने की धमकी दी और कार में बैठा लिया। रास्ते में मौका मिलने पर उन्होंने देखा तो खुद को पिछली सीट पर पाया। कार अनूप चला रहा था। अनूप के पीछे तमंचा लगाकर एक आदमी बैठा था। उन्हें लगा है कि अनूप और वह दोनों अगवा किए गए हैं। रात में एक बदमाश ने उनकी चेन और अंगूठी छीन ली। उन्हीं की जेब से रुपये निकालकर दोनों कारों में पेट्रोल डलवाया। दिन निकल आया तो वह शाहजहांपुर से हरदोई रोड पर घुमाते रहे। बीच- बीच में वह अनूप को इशारा करते थे कि कार थाने की ओर ले चलो पर अनूप उन्हें चुप करा देता था।

‘मैं जीना चाहता हूं, मुझे पानी चाहिए’बताया कि जिस अंकित कटियार ने मियांपुर में उदित के घर उन्हें रखवाया, वह अनूप का रिश्तेदार है। उनकी भी मियांपुर में रिश्तेदारी हैं, इसलिए आरोपी उनकी आंखें बंद कर वहां ले गए। यहां उन्हें एक ही टाइम खाना मिलता था। ज्यादातर समय उन्हें एक बक्से में सुलाया जाता था, जो ऊपर से खुला रहता था। बदमाश आपस में बात कर रहे थे कि रुपये नहीं मिलने या खतरा महसूस होने पर उनकी हत्या कर देंगे। बारादरी थाना प्रभारी धनंजय पांडेय ने जब हरीश को छुड़ाया तो वह बोले कि मैं जीना चाहता हूं, मुझे पानी चाहिए। फिर वह करीब दो लीटर पानी एक बार में ही पी गए।
पुलिस मदद न करती तो मार दिया जाता हरीश
हरीश ने बताया कि इन लोगों ने फिरौती न मिलने व जरा सा खतरा होने पर उनकी हत्या की योजना बना ली थी। एक-दो दिन और गुजरते तो उन्हें मार दिया जाता। पुलिस ने ऐन वक्त पर पहुंचकर उन्हें बचा लिया।

अनूप को लगातार रुपये दिए, राशन भी घर भिजवाया
हरीश ने बताया कि सफर के दौरान कई बार उसे लघुशंका लगी पर इन लोगों ने एकाध बार ही उन्हें अंधेरे या जंगली इलाके में लघुशंका कराई। जबकि कार चला रहा अनूप कई बार उतरकर लघुशंका करने गया। तब उन्हें उस पर शक हुआ, लेकिन बीच-बीच में आरोपी उसे गाली देकर तमाचा मारते थे तो लगता था कि दोनों ही फंस गए हैं। हरीश की पत्नी सीतापुर में सरकारी शिक्षक हैं। उनकी दो जुड़वां बेटियां अपनी दादी के साथ कानपुर में रहकर पढ़ाई करती हैं। वह भी मूल रूप से हरदोई के पांडेयपुर के निवासी हैं, पर कई साल से वह बांदा में रहकर अंडे का कारोबार कर रहे हैं। हरीश ने बताया कि जब भी अनूप परेशानी में आया, उन्होंने उसको रुपये दिए। डेढ़ लाख रुपये पिछले साल दिए। अपनी पत्नी से पचास हजार दिलवाए। अनूप और रुपये मांग रहा था तो उन्होंने कहा था कि वह अपनी जमीन बेचने जा रहे हैं। उसका एग्रीमेंट कराकर उसे रुपये दे देंगे। यहां तक कि उसके घर राशन खत्म हो गया था तो सरसों से लेकर गेहूं व चावल तक उन्होंने बांदा से भिजवाया था। उन्हें नहीं पता था कि अनूप उन्हें आसान शिकार बना लेगा।
पुलिस ने इनको भेजा जेल
एसएसपी ने बताया कि सर्विलांस व सीसीटीवी फुटेज की मदद से हरीश कटियार को उदित के घर से सकुशल खोज लिया। सोमवार रात मुठभेड़ में पुलिस ने मियांपुर निवासी अंकित कटियार और शाहिद व देवरनिया थाने के पिपरा नानकार निवासी वीरू उर्फ वीरपाल को गिरफ्तार किया था। वहीं, अगवा हरीश की निगरानी करने में मकान मालिक मियांपुर निवासी उदित व उमाशंकर, उसे खाना देने वाली मियांपुर निवासी अंकित की पत्नी लाली और नवाबगंज के पड़ी गांव निवासी आकाश को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। जबकि, मियांपुर निवासी खेमेंद्र, कैंट के चनेटा निवासी ललित, भोजीपुरा के बिबियापुर निवासी रजत फिलहाल वांछित हैं। कुल 11 आरोपियों के नाम सामने आए हैं। उनके कब्जे से अनूप की कार, किराये की वैन व नौ मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं।

बुरे वक्त में मदद करने वाले चचेरे भाई को अगवा कर बनाया बंधक
बारादरी पुलिस ने बांदा के अंडा कारोबारी को कराया मुक्त, आरोपी अनूप ने मांगी थी बीस लाख फिरौती
सेवानिवृत्त लेखपाल के बेटे अनूप कटियार ने ही बुरे वक्त में मदद करने वाले चचेरे भाई बांदा के अंडा कारोबारी हरीश कटियार के अपहरण की साजिश रची थी। उसने हरीश को बांदा से अगवा कराया और खुद का भी अपहरण होने का ड्रामा किया। भोजीपुरा में हरीश को चार दिन बंधक बनाकर रखा। घटना का खुलासा कर पुलिस ने महिला समेत आठ आरोपियों को जेल भेज दिया। इनमें सोमवार रात मुठभेड़ में गिरफ्तार किए गए तीन आरोपी भी शामिल हैं।