गेमिंग ऐप के जरिए लोगों को रुपये कमाने का लालच देकर करते थे ठगी
कानपुर में कल्याणपुर पुलिस ने शुक्रवार को ऑनलाइन गेमिंग के जरिए ठगी करने वाले एक गैंग का पर्दाफाश करते हुए तीन साइबर ठगों को अंबेडकरपुरम बड़ा पार्क के पास से गिरफ्तार किया है। जबकि गैंग लीडर फरार हो गया। पकड़े गए जालसाज ऑनलाइन गेमिंग एप्स पर लोगों को रुपये कमाने का लालच देकर ठगी करते थे। पुलिस ने उनके पास से 30 मोबाइल, तीन लैपटॉप, 10 पासबुस, 12 एटीमए कार्ड बरामद किया हैं।डीसीपी पश्चिम राजेश कुमार सिंह ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों में जालौन के कौंच निवासी इमराम, शिवम राजावत और कानपुर देहात के डेरापुर निवासी आशुतोष ऊर्फ सुंदरम तिवारी शामिल हैं। पकड़े गए शातिर ऑनलाइन गेम खेलते के लिए पहले क्रिकेट, फुटबाल आदि एड डालते थे।

गैंग लीडर की तलाश में दबिश
इसके बाद लोगों को लालच देकर गेम खेलने के लिए तैयार करते थे। गेम खेलने वालों के लिए एक सिंडिकेट ग्रुप के नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बना देते थे। ठगी के लिए लोगों की ऑनलाइन आईडी बनाकर रुपये का लेनदेन कर धोखाधड़ी करते थे। इसके बाद ठगी की सारी रकम गैंग लीडर को दे देते थे। उसकी के अनुसार गैंग के सदस्यों को हिस्सा मिलता था। पकड़े गए शातिरों को जेल भेजने के साथ ही गैंग लीडर की तलाश में दबिश दी जा रही है।
ऐसे करते थे ठगी
पूछताछ में सामने आया कि गैंग के सदस्य चेन सिस्टम के जरिए काम करते है। रुपयों के ट्रांजैक्शन के लिए बैंक अकाउंट व बातचीत के लिए मोबाइल सिम कार्ड दूसरे लोगों का यूज करते है। ऑनलाइन गेमिंग के लिए एमडी पेनल की आईडी ले रखी है। वॉट्सएप ग्रुप के जरिए लालच देकर लोगों को ऑनलाइन गेमिंग साइड से जोड़ते है। इसके बाद कस्टमर आईडी बनाकर रुपये लेकर ऑनलाइन गेम खेलने के लिए कॉइन डाल देते थे। ऑनलाइन गेम खेलने वाले के ज्यादा रुपये जीतने पर आईडी को ब्लॉक कर देते है।

ठगी के लिए बनाई गई ऑनलाइन आईडी
सिंडिकेट ग्रुप में जुड़ने वालों की आनलाइन आईडी बनाई जाती थी। इसके माध्यम से रुपयों का लेनदेन होता था। पुलिस से बचने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया, जबकि नए नंबर पर अकाउंट खोलकर पासबुक और चेकबुक तैयार की जाती थी। रुपये के लेनदेन और इनाम में कुछ राशि के लिए अलग अलग सदस्य रखे गए थे। सभी का संपर्क मोबाइल फोन से होता था।
गेम की कमान ठगों के हाथों में होती है
डीसीपी क्राइम आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि ऑनलाइन गेम्स में रिवार्ड का लालच देकर युवाओं को फंसाया जाता है। इसमें जमा पैसे को मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए बाहर भेजा जाता है। शुरू में युवाओं को जीता हुआ दिखाकर फंसाते हैं और फिर बड़ा अमाउंट लगाने पर हारा हुआ दिखा देते हैं। गेम की कमान ठगों के हाथ में होती है। कुछ मामलों में गेम से क्रेडिट कार्ड की डिटेल भी मांग ली जाती है। ठगों के जाल में फंसकर बच्चे अपने माता-पिता का क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल कर लेते हैं और जब तक उनके अभिभावकों का इसका पता चलता है, ठगी हो चुकी होती है।
आरोपियों का गिरोह काफी बड़ा है। इसका मास्टरमाइंड कानपुर का ही रहने वाला है। यह गिरोह पूरे सिस्टम से ठगी का कार्य करता था। शिवम राजावत के खिलाफ कई मुकदमे पहले से ही दर्ज हैं। -राजेश सिंह, डीसीपी पश्चिम
यहां करें शिकायत
साइबर ठगी का शिकार होने पर साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर सूचना दें या नजदीकी साइबर सेल में भी शिकायत कर सकते हैं।
ऐसे करें बचाव
- केवल अधिकृत सोर्स से ही ऐप डाउनलोड करें। जैसे- गूगल प्ले स्टोर या एप्पल स्टोर आदि।
- व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचें। साइबर अपराधी इसका गलत उपयोग कर सकते हैं।
- कभी भी ऐप की खरीदारी और आकर्षक सब्सक्रिप्शन ऑफर के जाल में न फंसें।
- कभी भी ई-मेल या टेक्स्ट मैसेज में आए संदिग्ध लिंक्स पर क्लिक न करें।
- क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड की जानकारी किसी के भी साथ शेयर मत करें।
- ऑनलाइन गेमिंग अकाउंट और अन्य ऑनलाइन अकाउंट के पासवर्ड जटिल होने चाहिए।
- ऑनलाइन गेमिंग के दौरान जिसे यूजर जानता न हो, उससे न मिलें।
- कोई समस्या होने पर अपने माता-पिता को जानकारी दें।