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कानपुर में साइबर हमला, डिफेंस कंपनी का गोपनीय डाटा चोरी, जांच एजेंसियां सतर्क

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HAL में 53 लाख की साइबर ठगी के बाद अब डिफेंस कंपनी एमकेयू बनी टारगेट

एचएएल में पिछले महीने 53 लाख की हुई साइबर ठगी का मामला अभी सुलझा भी नहीं था। इधर साइबर ठगों ने फिर रक्षा उत्पाद बनाने वाली एक कंपनी के गोपनीय डाटा में सेंध लगा दी। बुलटप्रूफ जैकेट व हेलमेट और बैलेस्टिक प्रोडक्ट बनाने वाली एमकेयू कंपनी ने साइबर थाने में डाटा चोरी होने की रिपोर्ट दर्ज कराई है। अपर सिविल जज जूनियर डिविजन के आदेश के बाद साइबर थाने की टीम ने मामले की जांच शुरू कर दी है। गांधीग्राम स्थित एमकेयू कंपनी के डिप्टी मैनेजर (लॉ) अशोकनगर निवासी गौतम मतानी के मुताबिक कंपनी पिछले 35 सालों से बैलेस्टिक उत्पाद बना रही है। कंपनी बुलेट प्रूफ जैकेट, बुलेट प्रूफ हेलमेट आदि बनाने-बेचने के साथ निर्यात का व्यापार करती है।

सारी डीटेल वेबसाइट पर अपलोड करती है कंपनी
गौतम मतानी के मुताबिक कंपनी उत्पादों के निर्यात में रक्षा, गृह और वाणिज्य मंत्रालयों की अधिकारिक वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करने के बाद अनुमति व अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त करती है। अनापत्ति प्रमाणपत्र मिलने पर उत्पादों का निर्यात किया जाता है। गौतम मतानी ने बताया कि कंपनी निर्यात किए जाने वाले उत्पादों की सारी डीटेल रक्षा मंत्रालय की अधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करती है।

अवैधानिक रूप से किया एक्सेस
इसमें उत्पाद की डिजाइन से लेकर निर्यात की डीटेल मौजूद रहती है। वेबसाइट का लॉगइन आईडी और पासवर्ड रक्षा मंत्रालय की ओर से पंजीकृत कंपनी को प्रदान किया जाता है। एमकेयू कंपनी को भी यूजर आईडी और पासवर्ड एलॉट किया गया था। गौतम के मुताबिक अगस्त 2024 में जानकारी हुई कि रक्षा मंत्रालय की अधिकारिक वेबसाइट पर कंपनी के पोर्टल में कुछ अनाधिकृत व्यक्ति अवैधानिक रूप से एक्सेस कर गए हैं।

कंपनी के गोपनीय डाटा को कर लिया चोरी
उनके द्वारा कंपनी के गोपनीय डाटा को चोरी कर लिया गया है। कंपनी की ओर से सात सितंबर 2024 को रक्षा मंत्रालय को मेल के माध्यम से प्रार्थनापत्र भेजकर जानकारी मांगी कि एक जनवरी 2024 से 31 मई 2024 के बीच में किस-किस आईपी एड्रेस के माध्यम से कंपनी के पेज पर एक्सेस किया गया था।

चार हजार आईपी एड्रेस से पेज पर हुआ एक्सेस
रक्षा मंत्रालय की तरफ से जवाब में 4000 आईपी एड्रेस का डाटा कंपनी को भेजा गया, जो पांच माह में कंपनी के पेज पर गई थी। इन चार हजार आईपी एड्रेस पर कंपनी ने अपने स्तर पर जांच की तो इसमें 700 आईपी एड्रेस संदिग्ध मिले। इसके बाद पुलिस उन्होंने थाने में तहरीर दी थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की, जिस पर उन्होंने कोर्ट के आदेश पर रिपोर्ट दर्ज कराई।

साइबर अपराधी हॉस्पिटल का भी डाटा कर चुके हैं चोरी
साइबर अपराधियों ने बीते 17 मार्च को काकादेव स्थित एक हॉस्पिटल का सर्वर हैक करके दो साल का डाटा भी चोरी कर बिटक्वाइन में फिरौती मांगी थी। हैकरों ने महज 20 सेकेंड के भीतर डाटा चोरी कर लिया था। यही नहीं हैकर ने गिटहब डॉट कॉम से भेजे गए धमकी भरे मेल में लिखा था कि भुगतान न करने की हालत में सभी गुप्त सूचना बेंच देगा और उसे सार्वजनिक कर देगा।

27 दिन बीत जाने के बाद भी नहीं लगा पता
इसके बाद हॉस्पिटल प्रबंधन ने मामले की शिकायत डीसीपी सेंट्रल की साइबर सेल से की थी। 27 दिन बीत जाने के बाद भी साइबर सेल अभी तक अपराधियों का पता नहीं लगा पाई है। वहीं इस संबंध में डीसीपी सेंट्रल का कहना था कि साइबर सेल की टीम मामले की जांच में जुटी है।

Jarees malik

Sarkar Ki Kahani
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