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जिंदगी नहीं मौत का घर बना महमूदपुर माफी का SK HEALTH CARE

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चार बार स्वास्थ्य विभाग की टीम ने किया सील , फिर भी ताले तोड़कर बच्चों की जिंदगी से खेल रहा झोलाछाप डाक्टर

चार बार सील किया फिर भी नहीं की स्वास्थ्य विभाग ने एफआईआर

मुरादाबाद (Moradabad)। स्वास्थ्य विभाग की हीलाहवाली के चलते अपंजीकृत अस्पताल और क्लीनिकों के संचालकों के हौंसले इतने बुलंद हैं कि वह मरीजों की जिंदगी से खेल रहे हैं कोई मर रहा या तड़प रहा उन्हें इस बात से कोई सरोकार नहीं है। वो तो बस अधिकारी को घूस देकर सील अस्पताल के बिना रजिस्ट्रेशन कराएं तारें तोड़कर मरीजों को मौत के घाट उतार रहें हैं। ऐसा ही एक मामला फिर नगर पंचायत महमूदपुर माफी में अवैध रूप से संचालित SK health care का उजागर हुआ है।

ये हैं बिना रजिस्ट्रेशन के SK Health care

सूत्रों है मिली जानकारी के मुताबिक SK Health care अस्पताल के दो झोलाछाप डॉक्टर संचालन कर रहें हैं। पहले है तौफिक और दूसरे है सुब्हान। दोनों के पास कोई बच्चों की वैध डिग्री नहीं है जिसके आधार पर वह नवजात शिशुओं को भर्ती कर उनका उपचार कर सकें। फिर खुलेआम स्वास्थ्य विभाग को घूस देकर जिंदगी और मौत का खेल झोलाछाप डॉक्टर खेल रहें हैं।

ये हैं बिना रजिस्ट्रेशन के चिराग नर्सिंग होम

संभल रोड़ स्थित महमूदपुर माफी में टीवीएस एजेंसी के पास संचालित SK health care में बारमर, सीपैप, फोटोथैरपी आदि के उपकरण मौजूद हैं लेकिन यहां इनको कोई वैध रुप से आप्ररेट करने वाला बाल रोग विशेषज्ञ नहीं है। अंट्रेट स्टाफ के भरोसे नवजात शिशुओं का इलाज यहां होता है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग की टीम ने चार बार छापेमारी करके इस अपंजीकृत हेल्थ केयर को सीलबंद कर दिया था लेकिन अधिकारी को घूस देकर फिर ताले तोड़ दिये गये।

जिस डाक्टर और डिग्री की आड़ में बिना रजिस्ट्रेशन के ये अवैध अस्पताल बच्चों की मौत का घर बना है उसी मे फिर कल एक बच्ची ने दम तोड़ दिया। ये बच्ची आरती नामक महिला की है जिसका आप्रेशन चिराग नर्सिंग होम में झोलाछाप डाक्टर ने किया था। संभल के शाहपुर चमरान की रहने वाली ये महिला भी जिंदगी और मौत की जंग अपने बच्चें के ग़म के साथ लड़ रहीं हैं। असल में ये अस्पताल भी अपंजीकृत है और कागजों में सीलबंद है।

दो दर्जन से अधिक मर चुकें हैं बच्चे

फाइल फोटो शिशु

महमूदपुर माफी के इस फर्जी एसके हेल्थ केयर में अब तक करीब दो दर्जन से अधिक नवजात शिशुओं की मौतें हो चुकी है। शिकायत के बावजूद स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी सीएमओ डा. नरेंद्र चौधरी और चिकित्सक अधीक्षक डा. सौरव बरतारिया भी बंद कर चुके हैं लेकिन सांठगांठ करके संचालक सुब्हान और तौफिक फिर ताले तोड़ लेते हैं। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि ये अपंजीकृत अस्पताल अब बच्चों की जिंदगी नहीं बल्कि मौत का घर बन चुका है।

सीएमओ हो जाए सख्त तो बचेगी नौनिहालों की जिंदगी

स्वास्थ्य विभाग के मुखिया डा. कुलदीप चौधरी यदि संजीदा होकर SK Health care और chiraq Nursing Home फिर से नोडल अधिकारी या स्वयं जांच कर लें तो मरीजों की जिंदगी बचा जाएगी वरना यूंही मरीज़ मरते रहेंगे। जब इस संबंध में नोडल अधिकारी डा. संजीव बेलवाल से पक्ष जाना तो उन्होंने बताया कि मैं स्वयं महमूदपुर माफी जाकर दोनों अस्पताल पर छापेमारी करुंगा और कठोर कार्रवाई करुंगा। अभी भी स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड में दोनों अस्पताल बंद है। किस के इशारे पर ताले टूटे गये है इसकी भी जांच होगी।

Jarees malik

Sarkar Ki Kahani
M: 9997411800, 9719616444

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