42 साल में पहली बार किसी सदन के सदस्य नहीं आज़म ख़ान
जरीस मलिक
मुरादाबाद (डेस्क)। भड़काऊ भाषण ने समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां के राजनीतिक सफर को बिगाड़ दिया। 42 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि आजम खां किसी सदन के नेता नहीं हैं। यानी मौजूदा समय में आजम न तो विधायक हैं और न सांसद। आजम खां 1980 से लगातार विधायक या सांसद बनते रहे। लेकिन, भड़काऊ भाषण मामले में तीन साल की सजा होने के बाद उनकी विधायकी भी चली गई। अब वह किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। आजम खां का पिछले 42 साल से रामपुर की सियासत में दबदबा रहा है।
छात्र जीवन से आजम खां के राजनीतिक सफर की शुरुआत
आजम खां ने छात्र जीवन से ही राजनीति की शुरुआत की। अलीगढ़ मुस्लिम विश्व विद्यालय छात्र संघ के महासचिव रहे। आपातकाल में 19 माह तक जेल में रहे। 1977 में रामपुर शहर से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। लेकिन, 1980 में हुए चुनाव में वह विधायक बन गए, तब से अब तक रामपुर शहर से 10 बार विधायक चुने गए हैं।
प्रदेश में जब भी सपा की सरकार बनी, तब वह कई-कई विभागों के मंत्री रहे हैं। प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष भी रहे। 1980 से पांच बार लगातार विधायक बनते रहे। 1996 में विधानसभा चुनाव हार गए तो सपा ने उन्हें राज्यसभा सदस्य बना दिया। इसके बाद 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में वह फिर विधायक बन गए और तब से अब तक लगातार पांच बार विधायक का चुनाव जीतते रहे।
आजम खां 1980 से लगातार विधायक या सांसद बनते रहे। लेकिन, भड़काऊ भाषण मामले में तीन साल की सजा होने के बाद उनकी विधायकी भी चली गई। अब वह किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। आजम खां का पिछले 42 साल से रामपुर की सियासत में दबदबा रहा है।
रास नहीं आई लोकसभा की सदस्यता
साल 2019 में आजम खां ने पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और सांसद बन गए, तब विधायक के पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन, लोकसभा की सदस्यता रास नहीं आई। लोकसभा चुनाव के दौरान ही उनके खिलाफ आचार संहिता और भड़काऊ भाषण देने के दर्जन भर मुकदमे दर्ज हुए। इसके बाद भी उनके खिलाफ बड़े पैमाने पर मुकदमे दर्ज कराए गए।
93 मुकदमे अदालतों में विचाराधीन हैं। एक मामले में सजा भी हो चुकी है। उनकी पत्नी पूर्व सांसद डा. तजीन फात्मा के खिलाफ 34 और बेटे विधायक अब्दुल्ला के खिलाफ 46 मुकदमे है। 26 फरवरी 2020 को उन्होंने अपनी पत्नी और बेटे के साथ अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था। पत्नी 10 माह बाद और बेटे 23 माह बाद जमानत पर छूट सके, जबकि वह खुद सवा दो साल बाद जेल से बाहर आ सके।
जेल में रहकर भी विधायक बन गए
आजम खां ने जेल में रहते हुए ही इस साल विधानसभा का चुनाव लड़ा और शानदार जीत हासिल की। उन्हें इतने वोट मिले जितने उनके मुकाबले खड़े हुए तमाम प्रत्याशियों को भी नहीं मिल सके। विधायक बनने के बाद सांसद के पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन भड़काऊ भाषण मामले में तीन साल की सजा होने से उनकी विधायकी भी चली गई।
आजम अब न सांसद न विधायक
अब वह किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। इस तरह आजम खां 42 साल बाद सदन से बाहर हो गए हैं। हालांकि वह सजा के फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील दायर करने जा रहे हैं। उनके बेटे विधायक अब्दुल्ला आजम का कहना है कि अपील दायर की जाएगी। हमें पूरी उम्मीद है कि इंसाफ मिलेगा।