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दिल्ली शराब घोटाला : शराब घोटाले मामले में अब आम आदमी पार्टी (आप) को आरोपी बनाया गया है। खबर है कि ईडी आज ही पार्टी के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल करेगी। दिल्ली के कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि अब वह इस केस में आम आदमी पार्टी (आप) के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करेगी।
जानकारी के अनुसार, ईडी आज ही आप के खिलाफ रॉउज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट फाइल कर सकती है। जांच एजेंसी ने कहा है कि उसके पास आंध्र प्रदेश से लेकर गोवा चुनावों में हवाला ट्रांसफर के सबूत हैं…और ये सारा पैसा पार्टी के खाते में ही आया है।
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ईडी ने 4 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया
बता दें कि ईडी ने हाल ही में दिल्ली शराब नीति मामले में एक नया आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसमें भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के. कविता और चार अन्य को आरोपी के तौर पर नामजद किया गया। ईडी के आरोप पत्र में जिन नेता को नामजद किया गया है उनके नाम कुछ इस तरह हैं- बीआरएस की विधान परिषद सदस्य के. कविता, गोवा में AAP का चुनाव प्रचार अभियान संभालने वाली कंपनी (चेरियट प्रोडक्शंस मीडिया प्राइवेट लिमिटेड) के तीन कर्मचारी दामोदर शर्मा, प्रिंस कुमार और चनप्रीत सिंह और इंडिया अहेड न्यूज चैनल के पूर्व कर्मचारी अरविंद सिंह शामिल हैं।
खबर है कि चेरियट कंपनी के 3 कर्मचारियों पर भी पार्टी के प्रचार अभियान के लिए अंगड़िया’ और हवाला के रास्ते साउथ ग्रुप’ से मिली घूस’ की रकम को आगे भेजने और मैनेज करने का आरोप है।

दो जून को सरेंडर करेंगे केजरीवाल?
मालूम हो 21 मार्च को ईडी ने अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। फिर 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 21 दिनों की अंतरिम जमानत दे दी, अब सीएम को 2 जून को सरेंडर करना है। हालांकि अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए सीएम केजरीवाल की ओर से याचिका दाखिल की गई है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच इस केस की सुनवाई कर रही है। अदालत ने कहा अगर केजरीवाल की गिरफ्तारी को अवैध पाया गया तो फिर उन्हें जेल नहीं जाना पड़ेगा। वहीं इसे वैध पाया गया तो उन्हें जेल जाना पड़ेगा।
आबकारी नीति आखिर क्या है?
दरअसल, साल 2021 में दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने नई आबकारी नीति पेश की थी, फिर 2022 आते-आते पार्टी इस नीति से जुड़े सवालों के घेरे में आ गई। जानकारी के अनुसार, उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने नीति बनाने और लागू करने में हुई कथित अनियमितताओं की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की थी। इसके बाद सीबीआई और ईडी ने कथित अनियमितताओं के संबंध में मामले भी दर्ज किए, जिसके बाद दिल्ली सरकार ने आबकारी नीति को रद्द कर दिया।