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रिश्वतखोरी: मुरादाबाद में बिना फायर एनओसी के चल रहें 400 अस्पताल

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अग्निशमन विभाग से ली केवल 57 अस्पतालों ने एनओसी

रिश्वतखोरी ने मजबूर किया बिना एनओसी के रजिस्ट्रेशन देना


मुरादाबाद डेस्क (जरीस मलिक)। जिला मुरादाबाद में यूं तो अपंजीकृत अस्पतालों की संख्या 8 हजार से अधिक है और पंजीकरण अस्पतालों की संख्या केवल 425 है लेकिन सीएमओ कार्यालय में रिश्वतखोरी के खेल के कारण बिना अग्निशमन विभाग की एनओसी के रजिस्ट्रेशन किये जाते हैं। अग्निशमन विभाग का रिकॉर्ड बताता है कि जिले भर में केवल 57 अस्पताल पर विभाग की एनओसी है यानि आग बुझाने के पुख्ता इंतजाम है। लेकिन 368 बड़े अस्पतालों के पंजीकरण सीएमओ कार्यालय ने कैसें कर दिए ये जांच का विषय है।

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बाकी सब भगवान भरोसे और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहे हैं। जबकि दिल्ली में न्यू बॉर्न बेबी केयर अस्पताल में आग के कारण सात मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है। सच्चाई तो यहीं है कि जिला स्तर पर अस्पतालों में आग से बचाव के इंतजामों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यहां तक कि सरकारी महिला अस्पताल में भी अग्निशमन विभाग की एनओसी नहीं है और न ही आग बुझाने के कोई ठोस इंतजाम किए गए हैं।

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बिना फायर एनओसी कैसें पंजीकृत हो गए 368 अस्पताल

सीएमओ कार्यालय में रिश्वतखोरी किस तरह अधिकारियों को डस रही है इसका अंदाजा आप ही लगा लीजिए। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस पर वर्षों से रटा रटाया बहाना बना देते हैं। उनका कहना है कि 15 मीटर से कम ऊंचाई वाले अस्पतालों पर फायर एनओसी अनिवार्य नहीं है। जबकि अग्निशमन विभाग के मुताबिक बहुमंजिला इमारत, स्कूल-कॉलेज, सरकारी विभाग या फिर अस्पताल हों, सभी के लिए फायर एनओसी लेना जरूरी है। नेशनल बिल्डिंग कोड के तहत सुरक्षा की दृष्टि से यह बेहद जरूरी है लेकिन इसी की अनदेखी की जाती है।

अस्पतालों के लिए ये होते हैं मानक

1000 वर्ग मीटर एरिया और 15 मीटर ऊंचाई तक बेड वाले अस्पतालों में अग्निशामक यंत्र, मैन्युअल इलेक्ट्रिक फायर अलार्म सिस्टम, स्प्रिंकलर सिस्टम (बेसमेंट हो तो), पानी टैंक क्षमता 5000 लीटर और 450 एलपीएम क्षमता का पंप। वहीं 1000 वर्ग मीटर एरिया और 15 मीटर तक ऊंचाई तक बिना बेड वाले अस्पतालों में अग्निशामक यंत्र, हौजरील, मैन्युअल इलेक्ट्रिक फायर अलार्म सिस्टम, स्प्रिंकलर सिस्टम (बेसमेंट हो तो), दो टैंक क्षमता पांच-पांच हजार लीटर और 450 एलपीएम क्षमता के दो पंप। डबल स्टोरी अस्पताल
वेटराइजर, ऑटोमेटिक स्प्रिंकलर सिस्टम, ऑटोमेटिक स्मॉग डिटेक्शन अलार्म, 75 हजार लीटर का अंडरग्राउंड टैंक, 10 हजार लीटर का टेरिस टैंक, 1620 एलपीएम का एक डीजल, एक इलेक्ट्रिक और 180 एलपीएम का एक जॉकी पंप और अग्निशामक यंत्र।

15 मीटर से 24 मीटर तक ऊंचाई वाले अस्पतालों में अग्निशामक यंत्र, हौजरील, वेटराइजर, यार्ड हाईड्रेंट, ऑटोमेटिक स्प्रिंकलर सिस्टम, मैनुअल और ऑटोमेटिक स्मॉग डिटेक्शन अलार्म सिस्टम, 1.5 लाख लीटर क्षमता का अंडर ग्राउंड वाटर टैंक, 20 हजार लीटर क्षमता का टैरिस टैंक, 2280 एलपीएम क्षमता के एक इलेक्ट्रिक और एक डीजल पंप के अलावा 180 एलपीएम के दो जॉकी पंप। यदि ऊंचाई 24 से 45 मीटर हो तो उसमें टैंक की और पंप की क्षमता बढ़ जाती है।

अपेक्स व साईं अस्पताल में चेकिंग

दिल्ली की घटना के बाद अग्निशमन विभाग ने साईं अस्पताल व अपेक्स अस्पताल में आग से बचने के इंतजामों का जायजा लिया। अस्पतालों में लगा फायर सेफ्टी सिस्टम चला कर देखा गया। जोकि सही पाया गया। अग्निशमन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि रोज अस्पतालों में जाकर चेकिंग की जाएगी। जिस अस्पताल के पास नियमानुसार आग से बचाव की व्यवस्थाएं नहीं होंगी। उसके संचालक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मुख्य अग्निशमन अधिकारी केके ओझा मौजूद रहे।

ये बोले सीएमओ डा.कुलदीप चौधरी

शासन के नियमानुसार 9 बेड से ज्यादा वाले सभी अस्पतालों के पास फायर एनओसी अनिवार्य है। हम नए रजिस्ट्रेशन बिना मौके पर निरीक्षण किए नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा अभियान चलाकर सभी अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा के इंतजाम चेक किए जाएंगे। जहां कमी मिलेगी नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

ये बोले अग्निशमन अधिकारी

हमारे विभाग की ओर से 57 अस्पतालों को फायर एनओसी जारी की गई है। अन्य अस्पतालों, भवनों, शिक्षण संस्थानों को समय समय पर नोटिस भी जारी किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग को भी कई बार नोटिस भेजा गया है कि बिना एनओसी किसी का रजिस्ट्रेशन न करें। एक अखबार के माध्यम से खुलासा हुआ था कि मुरादाबाद में 425 अस्पताल पंजीकरण है लेकिन फायर एनओसी सिर्फ 57 पर है ये गंभीर मामला है इसकी जांच होनी चाहिए।

बिना फायर एनओसी के महिला अस्पताल संचालित

योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हमेशा मीडिया के समक्ष आकर कहते हैं कि यूपी में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर है लेकिन हकीकत कुछ और है। मुरादाबाद में तो निजी अस्पतालो की बात छोड़ दीजिए यहां सरकारी महिला अस्पताल पर फायर एनओसी नहीं है अचानक आग लग जाए तो बुझाने का पुख्ता इंतजाम नहीं है किराए के सिलेंडर दीवारों पर तो लटके हैं लेकिन काम नहीं कर रहें। सिर्फ रामभरोसे ही महिला अस्पताल में मरीजों और नौनिहाल का इलाज हो रहा है। जहां प्रतिदिन एक दर्जन से अधिक नौनिहाल एसएनआईसीयू में रहते हैं। दिल्ली में बेबी केयर अग्निकांड से मुरादाबाद प्रशासन को सबक लेना चाहिए। स्वास्थ्य विभाग के लापरवाह अफसर इस ओर ध्यान दें।

निजी अस्पताल छोड़िए, पीएचसी तक नहीं पहुंच सकती दमकल की गाड़ी

जिले में 446 निजी अस्पताल तो बिना फायर एनओसी के चल ही रहे हैं। कुछ सरकारी स्वास्थ्य केंद्र भी संकरी गलियों में बनाए गए हैं। दुर्भाग्यवश यदि कोई हादसा हो जाए तो यहां तक एंबुलेंस और दमकल की गाड़ियां नहीं पहुंच सकतीं। इसके बावजूद पिछले कई सालों से स्वास्थ्य विभाग किराये के इन भवनों में पीएचसी संचालित कर रहा है।

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साथ ही भवन स्वामियों को हजारों रुपये किराया भी दे रहा है। शहर में शिवनगर नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संकरी गली में है, यहां एंबुलेंस व दमकल की गाड़ी तो छोड़िए निरीक्षण पर जाने वाले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की गाड़ी भी नहीं पहुंचती। इसके अलावा मिलन विहार पीएचसी, बंगला गांव पीएचसी व लालबाग पीएचसी भी चौड़े रोड से सटी संकरी गलियों में हैं। जरूरत पड़ने पर दमकल की गाड़ी बाहर रोड पर ही खड़ी हो सकती है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि इन उपकेंद्रों को शिफ्ट करने के लिए नए भवन तलाशे जा रहे हैं।

वहीं सुरक्षा की बात करें तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अग्निशमन यंत्र तो लगे हैं लेकिन इन्हें संचालित करने के लिए कर्मचारियों को लंबे समय से ट्रेनिंग नहीं दी गई है। इसी तरह जिला अस्पताल व जिला महिला अस्पताल में लगे कई अग्निशमन यंत्रों की एक्सपायरी डेट निकल चुकी है। इन्हें रीफिल नहीं कराया गया है।

तो… इसलिए नहीं सुधारी जा रही एक बार की गलती
स्वास्थ्य विभाग के जानकारों का कहना है कि नियमानुसार पुराने पंजीकृत अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन नवीनीकरण के लिए दोबारा सारी प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं है। यदि कोई डॉक्टर बदलता है या स्थान बदलता है तो शपथ पत्र लिया जाएगा। इसलिए कुछ अस्पतालों का बिना एनओसी किया गया रजिस्ट्रेशन आज तक चला आ रहा है। जबकि डिप्टी सीएमओ डॉ. नरेंद्र चौधरी का कहना था कि नए अस्पतालों का पंजीकरण बिना भौतिक सत्यापन के नहीं किया जा रहा है।

अस्पतालों का पंजीकरण बिना निरीक्षण के नहीं किया जा रहा है। बैठक कर सभी को निर्देश दिए जाएंगे कि अपने अपने अस्पतालों के लिए अग्निशमन विभाग से एनओसी प्राप्त कर लें। स्वास्थ्य केंद्रों पर खुद निरीक्षण करूंगा। अग्नि सुरक्षा के लिए बेहतर व्यवस्था की जाएग।

डॉ. नरेंद्र चौधरी सिंह, एसीएमओ

Jarees malik

Sarkar Ki Kahani
M: 9997411800, 9719616444

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