जीवन रेखा हॉस्पिटल के नाम से खोला था उसी बिल्डिंग में अस्पताल
डा. बरुआ हॉस्पिटल के किसने तोड़ दिये ताले और फिर कैसे खुला नया अपंजीकृत अस्पताल

मुरादाबाद (डेस्क)। जिले में अपंजीकृत अस्पताल, क्लीनिकों और लैबों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। स्वास्थ्य विभाग की टीम शिकायत मिलने पर लॉक अनलॉक भी कर रही है साथ में संबंधित थाने में मुकदमा भी पंजीकृत कराती है फिर भी ये मकड़जाल बढ़ता ही जा रहा है। जिस जीवन रेखा हॉस्पिटल को कल एसीएमओ ने खुशहाल पुर रोड़ पर लॉक किया है वह अपंजीकृत था। लेकिन ये भी सच है कि इसी बिल्डिंग में डा.बरुआ क्लीनिक पूर्व में सील किया गया था और एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी। इस क्लीनिक पर से आयुष्मान प्रधानमंत्री योजना के तहत बड़ा घपला पकड़ा गया था। सवाल यह है कि फिर किस आधार पर उसी जगह बिना कोर्ट के आदेश के जीवन रेखा हॉस्पिटल खुलवा दिया गया।

जीवन रेखा हॉस्पिटल की संचालिका भले ही डा. अभिजीत बरुआ की पत्नी हो लेकिन प्रैक्टिस तो अभिजीत बरुआ ही करते है जो पैथोलॉजिस्ट है। इस खेल में कहीं न कहीं स्वास्थ्य विभाग की भूमिका भी संदिग्ध नजर आती है। कैसें सील अस्पताल के ताले तोड़कर उसी बिल्डिंग में जीवन रेखा हॉस्पिटल खुलवा दिया गया? क्या पूर्व में डा. बरुआ हॉस्पिटल से जो आयुष्मान की फाइलें जब्त की गई थी उनकी जांच में डा. बरुआ क्लीनिक और संचालक डा. अभिजीत बरुआ को क्लीनचिट स्वास्थ्य विभाग ने दे दी?

सवाल ये भी है कि जब इसी तरह स्वास्थ्य विभाग लॉक अनलॉक करने का ड्रामा करता रहेंगा तभी तक इसी तरह जीवन रेखा हॉस्पिटल जैसें हजारों अपंजीकृत अस्पताल खुलते रहेंगे और मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ यूही होता रहेगा। छापेमारी के दौरान पहले भी अपंजीकृत पैथोलॉजी लैब पकड़ी गई थी जबकि डा. अभिजीत बरुआ पैथोलॉजिस्ट है। जब एक पैथोलॉजिस्ट अपनी डिग्री के आधार पर पैथोलॉजी लैब को सीएमओ कार्यालय में रजिस्ट्रेशन नहीं करा सकता तो फिर कौन कराएगा? झोलाछाप तो किराए की डिग्रियों पर सीएमओ दफ्तर से अपने अस्पताल क्लीनिक और पैथोलॉजी लैबों का पंजीकरण करा लेते है।
हालांकि ये भी सत्य है कि कुछ दिनों बाद बिना रजिस्ट्रेशन के स्वास्थ्य विभाग की टीम इस जीवन रेखा हॉस्पिटल को सुविधा शुल्क लेकर ताले तोड़ने की अनुमति मौखिक रुप से दें देंगी। फिर सारे नियम और मानक सुविधा शुल्क की अलमारी में बंद हो जाएंगे।