बिजनौर। यूपी के जनपद बिजनौर में हिजाब पहनने पर छात्राओं को स्कूल से निकाल दिया गया वहीं, प्रिंसिपल का कहना है कि मैंने ड्रेस में आने के लिए कहा था। थोड़ी देर बाद छात्राएं परिजन के साथ स्कूल पहुंचीं। घरवालों ने कहा- हमारी बच्चियां जैसे स्कूल आ रही हैं। वैसे ही आएंगी। मामला कोतवाली क्षेत्र के महुआ गांव के सरकारी जनता इंटर कॉलेज का है।
सिर से दुपट्टा उतारकर आओ स्कूल मामले का 56 सेकेंड का वीडियो भी सामने आया है। इसमें एक दर्जन छात्राएं स्कूली यूनिफॉर्म के साथ हिजाब पहने नजर आ रही हैं। एक शख्स छात्राओं से पूछ रहा है कि स्कूल टाइम में आप यहां क्या कर रही हैं?
जवाब में छात्राओं ने कहा- हिजाब की वजह से स्कूल से निकाल दिया गया। हम लोग सुबह स्कूल गए थे। प्रेयर के बाद प्रिंसिपल ने हमसे कहा कि सिर से दुपट्टा उतार कर, गले मे पट्टी डालकर और दो चुटिया बांधकर स्कूल आएं। इसके बाद स्कूल से निकाल दिया। प्रिंसिपल ने घरवालों को साथ लेकर आने को कहा है। इसके बाद छात्राएं घर गईं और अपने घरवालों को लेकर स्कूल पहुंचीं। घरवालों ने प्रिंसिपल से कहा कि मेरी बच्चियां हिजाब पहनकर स्कूल आएंगीं। इस पर प्रिंसिपल ने कहा कि मुझे कोई आपत्ति नहीं है।
सीओ बोले ड्रेस कोड लेकर हुआ था विवाद
विवाद की सूचना पर सीओ नगीना राकेश वशिष्ठ स्कूल पहुंच गए। उन्होंने दोनों पक्षों से बात की और समझाया। सीओ ने बताया ड्रेस कोड को लेकर विवाद था। प्रधानाचार्य ने छात्राओं से यूनिफॉर्म में आने को कहा था।
छात्राओं ने कहा– प्रिंसिपल ने हमें घर भेज दिया था
11वीं की छात्रा राफिया ने बताया कि प्रिंसिपल सर ने हमें कहा था कि हिजाब पहनकर मत आया करो। हम यही पहनकर आना चाहते हैं। जितनी भी छात्राएं हिजाब पहनकर आई थीं, उन्होंने सबको स्कूल से जाने के लिए कहा था।
सानिया ने बताया कि सर ने बोला था कि सिर पर ऐसे दुपट्टा ओढ़कर नहीं आना। अगर ऐसे आना है तो घर बैठो। इसके बाद हम घर चले गए। हम अपने मां-बाप को लेकर आए। उन्होंने प्रिंसिपल सर से बात की। फिर ये तय हुआ कि हम सिर पर दुपट्टा ओढ़कर आएंगे।
प्रिंसिपल बोले- हमने ड्रेस में आने के लिए कहा सभी बच्चे हमारे हैं। स्कूल ड्रेस में आने के लिए बच्चों को प्रेरित किया जाता है। मैंने यही कहा था कि सारे बच्चे स्कूल के पहनावे के अनुसार आएं। इस पर उन बच्चों से कहा था कि अपने घरवालों को बता देना कि प्रिंसिपल ने बुलाया।
बिजनौर के जनता इंटर कालेज में हिजाब पहनकर पहुंचीं छात्राओं को बाहर निकाला हमसे मिले। उन्होंने कहा- हमारे बच्चे जैसे आ रहे हैं, वैसे ही आएंगे। इस पर मैंने कह दिया कि मुझे कोई आपत्ति नहीं है। वो सहमत हो कर चले गए। हिजाब तो मैं जानता भी नहीं कि क्या होता है?