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कानपुर में शिक्षिका का शव पहली मंजिल पर बरामद, भाई को नहीं पता, मामले की जांच शुरू

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शिक्षिका के शव की पहचान के लिए पुलिस ने परिवार से की पूछताछ

कानपुर : नवाबगंज निवासी ममता पांडेय (55) घाटमपुर ब्लॉक के महुआपुर गांव स्थित परिषदीय स्कूल में सहायक अध्यापिका पर कार्यरत थीं। शुगर और अन्य बीमारियों के चलते कुछ दिनों से अवकाश पर थीं। गुरुवार शाम ममता के बंद कमरे से बदबू उठी तो पड़ोसियों की शंका पर पुलिस भी पहुंच गई। कमरे का दरवाजा तोड़ा गया तो सामने फर्श पर ममता का सड़ा हुआ शव औंधे मुंह पड़ा था।

सूचना पाकर मुंबई में नौकरी करने वाला ममता का एकलौता बेटा आदित्य भी देर रात नवाबगंज पहुंच गया। आदित्य ने पुलिस को बताया कि मां का पिता से कई वर्ष पूर्व तलाक हो चुका है। मां से अक्सर फोन पर ही बात होती थी। दीपावली पर उसे घर भी आना था। नवाबगंज थाना प्रभारी दीनानाथ मिश्रा ने बताया कि शव चार-पांच दिन पुराना लग रहा है। फिलहाल किसी तरह के आरोप की बात सामने नहीं आई है।

पति से बनीं नहीं, भाई से नहीं होती थी बात
बेटे आदित्य के अनुसार नीचे ग्राउंड फ्लोर पर मामा विनय पांडेय रहते हैं, लेकिन मां का उनसे मतलब नहीं रहता था। थाना प्रभारी ने बताया कि ममता की शादी साल 1998 में मध्य प्रदेश के एक शख्स से हुई थी। पति से वर्ष 2000 में तलाक होने के बाद वह मायके में बेेटे के साथ आकर रहने लगीं थीं। आसपास के लोगों की मानें तो ममता को करीब पांच दिन से किसी ने देखा भी नहीं था।

शनिवार को गई थीं स्कूल, सोमवार से फोन बंद
ममता पांडेय बीते पांच दिनों से स्कूल नहीं गईं थीं। आखिरी बार वह शनिवार पांच अक्तूबर को स्कूल आईं थीं। बस आदि से स्कूल जाने के कारण अक्सर उन्हें स्कूल पहुंचने में देर हो जाती। सोमवार को साथी शिक्षकों ने ममता को फोन किया तो मोबाइल स्विच ऑफ मिला। साथियों ने मुंबई फोन कर आदित्य से भी ममता के स्कूल न आने का कारण पूछा, लेकिन कुछ स्पष्ट नहीं हो सका।

विद्यालय में बुला ली थी पुलिस
साथी शिक्षकों के मुताबिक ममता कुछ दिनों से परेशान रहती थीं। ज्यादा किसी से बात नहीं करती और छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ाती थीं। एक बार उन्होंने कक्षा तीन की मेधावी बच्ची को हैंडपंप चलाने की कोशिश करने पर पीट दिया। इस पर लोगों ने नाराजगी जताई, तो ममता ने पुलिस बुला ली थी।

हद हो गई: कर्मियों ने घर पर पांच हजार और पोस्टमार्टम हाउस में लिए 1000 रुपये
परिजनों के मुताबिक शुक्रवार सुबह शव को पोस्टमार्टम हाउस पहुंचाने के लिए पुलिस ने वहीं से दो प्राइवेट कर्मचारी बुलाए, लेकिन सड़े हुए शव की हालत कर्मियों ने पांच हजार रुपये की मांग कर दी। काफी कहासुनी के बाद भी जब कर्मी नहीं माने, तो मजबूरन घरवालों को रुपये देने पड़े। पोस्टमार्टम की वसूली का किस्सा यही खत्म नहीं हुआ, बल्कि दोपहर 12 बजे जब ममता के शव का नंबर आया।

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तब शुरू किया गया शव का पोस्टमार्टम
यहां भी कर्मियों ने उसे भीतर तक पहुंचाने के लिए 1000 रुपये की मांग कर दी। परिजनों का आरोप है कि जब कर्मियों की मांग पूरी नहीं हुई तो शव का पोस्टमार्टम ही रोक दिया। नवाबगंज के बाद आए बर्रा और शिवराजपुर के शवों का पोस्टमार्टम करना शुरू कर दिया। आखिर में जब परिजनों ने कर्मियों को मजबूरन 1000 रुपये दिए, तब जाकर कहीं दोपहर दो बजे ममता के शव का पोस्टमार्टम शुरू किया गया।

Jarees malik

Sarkar Ki Kahani
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