40 करोड़ रुपये की लेन-देन का खुलासा: गेमिंग एप्स से जुड़े संदिग्ध बैंक खाते जब्त
कानपूर : कमिश्नरेट पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेमिंग एप्स से होने वाली कमाई में टैक्स चोरी के गोरखधंधे का पर्दाफाश किया है। एक व्हिसिल ब्लोअर की सूचना पर जांच कर पुलिस ने शहर के तीन शातिरों को धर दबोचा। इनके पास से 40 लाख रुपये, 10 मोबाइल और कई बैंक खातों की पासबुक बरामद किए गए हैं। अब तक की जांच में 40 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम इधर से उधर करने की बात सामने आई है।

गिरफ्तार किए गए आरोपियों में गोविंदनगर के रतनलाल नगर निवासी जतिन गलानी उर्फ जीतू के अलावा गोविंदनगर के सौरव दुलानी और शास्त्रीनगर के अनिल खन्ना उर्फ सनी शामिल हैं। एक नामी इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक कर चुका जतिन गैंग का स्थानीय सरगना है, जबकि सौरव बीए पास और अनिल बारहवीं पास है। जतिन ने कम समय में अधिक पैसा कमाने का लालच देकर पहले सौरव को जोड़ा, फिर सौरव ने अनिल से मुलाकात कराई। उसके अधीन और भी लोगों के काम करने की बात सामने आई है। पुलिस का कहना है कि जतिन ही विदेश में बैठे मुख्य सरगना डेनियल और एलेक्स से संपर्क में रहता था। बैंक खाते, मोबाइल नंबर व उनका एक्सेस मुहैया कराने के एवज में सरगना इन्हें मोटा कमीशन देते थे।
ऐसे खेला जा रहा टैक्स चोरी का खेल
जांच में पता चला है कि ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां पकड़े गए आरोपियों जैसे हजारों लोगों के जरिये डमी बैंक खातों का उपयोग गेम में आने वाली रकम को घुमाने के लिए करते थे। कंपनी अगर अपने खाते में पूरी रकम मंगाती तो उसे टैक्स देना पड़ता। ऐसे में पैसा इन बैंक खातों में मंगाया जाता और फिर वहां से अपने बैंक खातों में ट्रांसफर करा लेते। इसी तरह ऐसे एप्स जिनमें खेलने वाला सिर्फ पैसे हारता ही है, वह भी डेनियल और एलेक्स जैसे मास्टर माइंड के जरिये बैंकखातों में पैसे लेकर सरकार की नजर से बचने का काम करते हैं। जिन खातों से ठगों को पकड़े जाने का रिस्क नहीं होता था, उनकी डिटेल मलयेशिया व म्यांमार जैसे देशों में बैठे साइबर ठगों को ठगी में इस्तेमाल करने के लिए दे देते थे, जिसके लिए उन्हें मोटा कमीशन मिलता था।

सबका था अलग-अलग काम
एडीसीपी महेश कुमार ने बताया कि तीनों के काम बंटे हुए थे। अनिल का काम जरूरतमंद लोगों को तलाशकर उनके नाम से फर्म बनवाकर बैंक में करंट अकाउंट खुलवाना था। इसके लिए वह कानपुर के अलावा देश के कई हिस्सों ने भी जाता था। इन्हीं खातों में टैक्स चोरी की रकम जाती थी। सौरव का काम डिवाइस यानी मोबाइल और सिम मुहैया करवाना था। वहीं, जतिन विदेश में बैठे आकाओं डेनियल और एलेक्स के संपर्क में रहता था। ठगी की रकम के हिस्से का बंटवारा भी जतिन ही करता था।
ऐसे पकड़ा गया मामला
गोविंदनगर निवासी प्रिंस मल्होत्रा ने काकादेव पुलिस से शिकायत की थी कि वह शास्त्रीनगर निवासी अनिल खन्ना उर्फ सनी के जरिये उन ठगों से मिले जो साइबर ठगी के लिए बैंक खाते व मोबाइल मुहैया कराने के लिए कह रहे थे। मामले की जांच के लिए सेंट्रल जोन के सर्विलांस प्रभारी पवन प्रताप व पांडुनगर चौकी प्रभारी राहुल शुक्ला की टीम को लगाया गया। जांच करते हुए टीम अनिल के जरिये जतिन और सौरव तक पहुंच गई।