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8.25 लाख की डिजिटल ठगी में यूपी का प्राइवेट कर्मचारी गिरफ्तार, पांच दिनों में कई बाधाओं का सामना

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सीबीआई अधिकारी बनकर साइबर ठगों ने रची साजिश, प्राइवेट कर्मी को 5 दिन रखा डिजिटल अरेस्ट

कानपुर में साइबर ठगों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर ईडब्ल्यूएस बर्रा-5 में रहने वाले प्राइवेट कर्मी को पांच दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा। कॉल करने वाले ने पहले वित्त मंत्रालय द्वारा बैंक खातों व लेनदेन के सत्यापन की बात कही। फिर उसके दस्तावेजों के गैर कानूनी गतिविधियों में इस्तेमाल का आरोप लगाकर गिरफ्तारी का डर दिखाया। कहा कि उसका मोबाइल नंबर, बैंक अकाउंट व अन्य दस्तावेज अवैध कामों में इस्तेमाल हो रहे हैं। बचने के लिए जैसा कहा जाए, वैसा करें तो बच सकता है। इसके बाद उससे एफडी तुड़वाकर व शेयर बिकवाकर 8.25 लाख रुपये ऐंठ लिए। पांच दिन डिजिटल अरेस्ट रखने के बाद उसे जब उसे बेगुनाह बताकर दो दिन में रुपये वापस भेजने की बात कही गई, तो पीड़ित ने राहत की सांस ली।

हालांकि अगले दिन जब उसने ठगों ने नंबरों पर कॉल की तो वह बंद मिले। ठगी का एहसास होने पर उसने साइबर क्राइम पोर्टल के नंबर 1930 पर कॉल कर शिकायत की। इसके बाद साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी। बताया कि ठगों ने जिन बैंक खात में रकम मंगाई है, उनमें एक खाता किसी सतानी रमेश के नाम पर है जो कि एसबीआई की भक्तिनगर ब्रांच राजकोट से संचालित हो रहा था।

जल्द ही आरोपियों को होगी गिरफ्तारी
वहीं, दूसरा खाता रॉयल क्रिएशन के नाम का था। यह सूरत स्थित यस बैंक की हीराबाग ब्रांच का था। मामले की जांच कर रहे विवेचक सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि जिन बैंक खातों में रुपये गए हैं, उन्हें फ्रीज कराने और रुपये वापस दिलवाने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। साथ ही, बाकी तथ्यों की भी जानकारी जुटाई जा रही है। जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

अरेस्ट के पांच दिन हर रोज सामने आई नई चुनौती

पहला दिन: घर छोड़ होटल में रहने को किया मजबूर   
युवक के पास ठगों का पहला कॉल 19 अक्तूबर को आया। गैर कानूनी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की धमकी दी गई। फिर सीबीआई अफसर बनकर ठग ने बात करते हुए कहा कि अच्छा हुआ बात कर ली, नहीं तो दो घंटे में उठा लिए जाते। डरे हुए युवक को उन्नाव में एक होटल में रहने को मजबूर किया गया। हालांकि कहा गया कि बेगुनाह होने पर एजेंसी होटल के बिल की भरपाई कर देगी। होटल पहुंचने पर नए व्हॉट्सएप नंबर से वीडियो कॉल कर ठगों ने संपर्क किया और उसके बैंक खातों और रुपयों की जानकारी ली गई। रातभर पीड़ित उसी होटल में ठहरा।

दूसरा दिन: दुर्घटना में घायल पिता से मिलने के लिए लगाई शर्त         
20 अक्तूबर को दूसरे दिन सुबह फिर से ठगों ने पूछताछ का सिलसिला शुरू किया। तीन लोग तीन बार उससे करीब आधे-आधे घंटे पूछताछ करते। इसी बीच पीड़ित को पिता के एक्सीडेंट की जानकारी मिली। उसने सीबीआई अफसर बनकर बैठे ठगों से घर जाने की मिन्नत की। ठगों ने किसी से भी कुछ न कहने, कॉल किए जाने पर एकांत में जाकर बात करने की शर्त मानने पर जाने की मंजूरी दे दी।

तीसरा दिन: घर के बाहर जाकर करनी पड़ी ठगों से बात
21 अक्तूबर की सुबह फिर से ठगों ने कॉल की। निर्देश के अनुसार पीड़ित ने घर के पास स्थित पार्क जाकर बात की। इस दौरान ठगों ने उससे निवेश के बारे में जानकारी ली। साथ ही उसे किसी भी सूरत में किसी व्यक्ति से जांच के बारे में कुछ भी न बताने के लिए कहा गया।

चौथा दिन: एफडी तुड़वाकर ले लिए 2.05 लाख रुपये
22 अक्तूबर की सुबह तीन ठगों ने उससे बारी-बारी से पूछताछ शुरू की। इस दौरान उसे भरोसा दिया गया कि जांच में सहयोग करेगा तो बच जाएगा। इसके बाद एफडी तुड़वाकर रुपये वित्त मंत्रालय का बताकर एक बैंक खाते में जमा करने को कहा गया। पीड़ित ने 2.05 लाख रुपये जमा कर दिए।

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पांचवां दिन: शेयर बेच जमा किए 6.20 लाख, बताया बेगुनाह
23 अक्तूबर को ठगों ने पूछताछ की और शेयर में निवेश किए गए 6.20 लाख रुपये खाते में जमा करने को कहा। बचने के लिए पीड़ित ने ठगों के खाते में रुपये जमा कर दिए। कुछ समय बाद दोबारा फोन करर ठगों ने जांच पूरी होने की बात कही। साथ ही कहा गया कि वह बेगुनाह है कि इसलिए उसे छोड़ा जा रहा है। साथ ही बताया गया कि रुपये दो दिन में खाते में वापस आ जाएंगे।

बचाव के तरीके

  • अगर कोई खुद को पुलिस या सरकारी एजेंसी का प्रतिनिधि बताता है और गिरफ्तारी या किसी तरह की बात करता है तो उसे नजरअंदाज करें।
  • अगर कोई काॅल या संदेश यह कहता है कि आपके नाम से पार्सल विदेश से आया है, तो सतर्क रहे। केवल कंपनी के आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर जानकारी प्राप्त करें।
  • अगर कोई रिश्तेदार या परिचित आर्थिक मदद मांग रहा है तो काल या वीडियो काल से उसकी सच्चाई की जांच करें।
  • ऑॅनलाइन टास्क करने पर पैसा कमाने का वादा करने वाले संदेशों और चैनलों से सतर्क रहें। भुगतान प्राप्त करने से पहले किसी भी प्रकार का शुल्क न भरें।
  • किसी भी व्यक्तिगत जानकारी जैसे आधार नंबर, बैंक डिटेल्स या पासवर्ड, सोशल मीडिया पर साझा न करें।

यहां करें शिकायत
किसी भी साइबर अपराध की शिकायत सबसे पहले हेल्पलाइन नंबर 1930 पर करें। साथ ही स्थानीय थाने या स्थानीय साइबर थाने में भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। जितनी जल्दी शिकायत दर्ज कराई जाएगी, उतनी जल्दी ही बैंक खाता फ्रीज कर पैसे वापस कराने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। साथ ही रुपये वापस मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है।

Jarees malik

Sarkar Ki Kahani
M: 9997411800, 9719616444

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