रवींद्र की नशे की लत और घरेलू हिंसा की वजह से यह हत्या हुई, जिसके बाद उसे अदालत से कड़ी सजा मिली।
शराब के लिए रुपये न देने पर वृद्ध मां की चाकू से गोदकर हत्या कर देने वाले बेटे को अपर जिला जज तृतीय कंचन सागर ने उम्रकैद और 12 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। रामादेवी स्थित एचएएल काॅलोनी निवासी रवींद्र सिंह भदौरिया उर्फ मोनू अपनी मां मीरा देवी व पत्नी शशी के साथ रहता था। रवींद्र और शशी की वर्ष 2008 में शादी हुई थी। नशे की लत के कारण रवींद्र अक्सर शशी को मारता-पीटता था।

इससे तंग आकर शशी 23 मई 2011 को मायके घाऊखेड़ा चली गई थी। शशी की मां रेखा सिंह ससुराल पहुंची तो देखा कि रवींद्र ने अपनी मां की चाकू से गोदकर हत्या कर दी थी। रेखा को देखकर रवींद्र भाग निकला। रेखा ने चकेरी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। एडीजीसी ओमेंद्र दीक्षित ने बताया कि अभियोजन की ओर से रेखा, शशी व पड़ोसी राजेश पासवान समेत 11 गवाह कोर्ट में पेश किए गए। रेखा और शशी ने कोर्ट में बयान पलट दिए और पक्षद्रोही हो गई थीं, लेकिन पड़ोसी ने रवींद्र को घटना के दिन घर में देखने की बात बताई थी। आलाकत्ल चाकू भी रवींद्र की निशानदेही पर पुलिस ने बरामद कर लिया था। परिस्थितिजन्य साक्ष्यों व अन्य सबूतों और गवाहों के आधार पर कोर्ट ने रवींद्र को दोषी मानकर सजा सुनाई।

रवींद्र ने पड़ोसी के सामने जुर्म कबूल किया था
रवींद्र की पत्नी और सास कोर्ट में बयान से पलट गईं और कहा था कि शशी घटना के दो दिन पहले से ही मायके में थी। ससुराल से फोन आने पर मां-बेटी पहुंची तो देखा पुलिसवाले मीरा देवी का शव सील कर रहे थे। दरोगा के बताने पर उसकी बेटी ने तहरीर लिखी थी, जिस पर मां ने हस्ताक्षर बना दिए थे। दामाद ने हत्या नहीं की। वहीं, पड़ोसी राजेश पासवान ने कोर्ट में दिए बयान में कहा था कि रवींद्र और वह दोनों सब्जी का काम करते थे। बाद में रवींद्र ने काम बंद कर दिया था। एक दिन वह घबराकर उसके पास आया और कहा कि उससे बहुत बड़ी गलती हो गई है। उसने मम्मी का मर्डर कर दिया है। रवींद्र को सजा दिलाने में राजेश की गवाही अहम साबित हुई।