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शामली मुठभेड़: खून से सनी कार में मिले गोलियों के चार निशान और विदेशी हथियार

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शामली एसपी का बयान: गिरोह के सभी सदस्यों पर होगी कड़ी कार्रवाई, कोई नहीं बचेगा

मुकीम काला गैंग के सदस्यों को मुठभेड़ में मार गिराने के बाद उनके पास से बरामद हथियारों में से एक कार्बाइन और पिस्टल विदेशी है। दोनों मेड इन जापान हैं। एसटीएफ को आशंका है कि कोई गिरोह विदेशी हथियार वेस्ट यूपी के विभिन्न स्थानों पर सप्लाई कर रहा है। एसटीएफ के एसपी ने बताया कि बरामद हथियारों के मेड इन जापान होने पर जांच पड़ताल की गई है। गिरोह के हथियार सप्लायर भी एसटीएफ के रडार पर आ गए हैं। एसपी का कहना है कि जल्द ही सप्लायरों पर भी शिकंजा कसा जाएगा। विदेशी कार्बाइन मुश्किल से ही मिल पाती है। दो टीमों ने सप्लायरों की तलाश शुरू कर दी है। एसपी शामली रामसेवक गौतम कहना है कि गिरोह में यदि अन्य के नाम सामने आते हैं तो उन्हें भी गिरफ्तार किया जाएगा। गिरोह के किसी भी सदस्य को नहीं बख्शा जाएगा।

सतीश के परिजन बोले- उन्हें शव दिखाए बिना पोस्टमार्टम न कर देना
मुठभेड़ में मारे गए करनाल के अशोक विहार निवासी सतीश के परिजन व रिश्तेदार मंगलवार सुबह पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। भाई बंटी ने बताया कि सतीश के 18 व 13 वर्ष की दो लड़की हैं। उसकी पत्नी की करीब साढ़े तीन साल पहले बीमारी के चलते मौत हो गई थी। सतीश सोमवार दोपहर शादी में जाने की बात कहकर घर से गया था। इसके बाद उसका मोबाइल फोन स्विच हो गया। थाना मधुबन पुलिस ने उन्हें सतीश के मुठभेड़ में मारे जाने की जानकारी दी। बंटी का कहना है कि सतीश पर करीब 20 साल पहले मारपीट का एक मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसमें वह बरी हो चुका था। परिजनों ने पोस्टमार्टम से पहले सतीश का शव दिखाने की मांग की, लेकिन पुलिस ने मना कर दिया। इसे लेकर पुलिस व परिजनों के बीच नोकझोंक हुई। परिजनों ने पुलिस से कहा कि उन्हें शव दिखाए बिना पोस्टमार्टम न किया जाए। अगर ऐसा किया तो वे शव को नहीं ले जाएंगे और इस मामले में आगे तक जाएंगे। अगर मुख्यमंत्री तक प्रयागराज भी जाना पड़ा तो वहां भी जाएंगे।

खून से लथपथ कार में मिले गोलियां के निशान
एनकाउंटर के बाद बदमाशों की ब्रेजा कार को चौसाना पुलिस चौकी पर भेज दिया गया। कार में शीशे, बोनट के अलावा चार जगह गोली के निशान थे। इसके अलावा कार की आगे और पीछे की सीटें भी खून से लथपथ थीं। पीछे का शीशा टूटा हुआ था। घटनास्थल पर फॉरेसिंक टीम को छह स्थानों पर खून मिला। 
15 साल बाद बाद एक साथ यूपी में मारे गए चार बदमाश
एसटीएफ एसपी ने बताया कि 15 साल पहले जौनपुर में छह बदमाशों को पुलिस ने एक साथ एनकाउंटर में मार गिराया था। अब 15 साल बाद शामली में चार बदमाशों को एक साथ एसटीएफ ने ढेर किया है। 

तीन माह तक जमात में रहा, फिर भी नहीं सुधरा अरशद
भाई राशिद ने बताया कि अरशद पूर्व में कग्गा गैंग से जुड़ा था, मगर अब वह किसी भी गैंग में नहीं था। तीन माह पहले ही उसे राजस्थान में जमात के लिए भेजा था। सोचा था जमात में जाएगा तो सुधर जाएगा। जमात में भेजने के लिए परिजनों ने उसे 30 हजार रुपये दिए थे। जमात से आने के बाद वह नमाज भी पढ़ने लगा था। मगर अब मुठभेड़ कैसे हुई, उन्हें जानकारी नहीं है।
शामली पुलिस को भनक तक नहीं लगी
मुस्तफा उर्फ कग्गा गैंग के सरगना एक लाख के इनामी अरशद समेत चार बदमाशों को मार गिराने में एसटीएफ मेरठ ने बाजी मार ली और शामली पुलिस को भनक तक नहीं लगी। 

शामली में काम देखने की बात कहकर घर से गया था मंजीत
मुठभेड़ में मारे गए सोनीपत के गांव रोहट निवासी मंजीत की बहन रीनू देर शाम परिजनों के साथ पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंची। रीनू ने बताया कि वह तीन बहन और दो भाई थे। मंजीत सबसे छोटा था। बड़े भाई की कई साल पहले मौत हो गई थी। माता-पिता की भी मौत हो चुकी है। मंजीत का चार माह का लड़का है। उसकी पत्नी का नाम सोनम है। उसने बताया कि मंजीत 10- 15 दिन पहले घर से शामली में काम देखने की बात कहकर गया था। इसके बाद मोबाइल फोन पर कई बार बात हुई। सोमवार रात में भी करीब नौ बजे आखिरी बार फोन पर बात हुई थी, जिसमें उसने एक-दो दिन में घर पहुंचने की बात कही थी। सुबह पुलिस ने उसके मारे जाने की सूचना दी। रीनू का कहना है कि मंजीत खेती करता था। उसका कहना है कि जिस तरह से उसका भाई को मारा गया है, वह गलत हुआ, इसमें कार्रवाई होनी चाहिए। सरकार को इसकी जांच करानी चाहिए।मंजीत ने किया हुआ था धर्म परिवर्तनमुठभेड़ में मारे गए मंजीत की बहन ने बताया कि उसके भाई ने कुछ समय पूर्व ही दूसरे संप्रदाय की युवती से शादी कर ली थी, जिसके बाद उसने धर्म परिवर्तन कर लिया था। वह मंजीत से जुबैर बनकर रह रहा था। 

मनवीर के रूप में हुई चौथे बदमाश की शिनाख्त
एसपी रामसेवक गौतम ने बताया कि चौथे बदमाश की शिनाख्त देर रात करनाल के घरौंडा निवासी 30 वर्षीय मनवीर पुत्र फूल सिंह के रुप में हुई। आरोपी पर दुष्कर्म, मारपीट और अन्य धाराओं में कई मामले दर्ज हैं। 

14 साल तक उप्र और हरियाणा की जेल में बंद रहा अरशद
मुठभेड़ में मारा गया एक लाख का इनामी बदमाश अरशद 14 साल तक लगातार उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और हरियाणा में करनाल की जेल में बंद रहा था। 16 मई 2024 को वह करनाल जेल से जमानत पर आया था। अरशद के परिजनों का कहना है कि वह उसे पुलिस के सामने पेश करना चाहते थे।
सहारनपुर के गंगोह क्षेत्र के गांव बाढ़ी माजरा निवासी अरशद के भाई राशिद, दिव्यांग साजिद और वाजिद उर्फ वाजा पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंचे। राशिद ने बताया कि अरशद चार भाइयों में सबसे छोटा और अविवाहित था। चारों भाइयों के पास करीब 15 बीघा खेती की जमीन है और परिवार मजदूरी करता है।

तीन व्यापारियों की हत्या के बाद 15 दिन बंद रहा था कैराना
16 अगस्त 2014 को दिनदहाड़े व्यापार मंडल के अध्यक्ष विनोद सिंघल की दुकान पर बैठे हुए गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई थी। इसके ठीक आठ दिन बाद सीओ ऑफिस से सामने मुकीम काला गिरोह के बदमाश बाइकों पर आए और आयरन स्टोर के स्वामी राजू और शंकर की गोलियां मारकर हत्या कर दी थी। आठ दिन में तीन हत्याओं के चलते पूरा शामली जिला 15 दिन तक बंद रहा था। लूट, डकैती और रंगदारी के लिए हत्याओं के बाद 2014 और 2015 में कैराना में पलायन हुआ था। जून 2016 में भाजपा के दिग्गज नेता स्व. हुकुम सिंह द्वारा 346 परिवारों के पलायन की सूची जारी करने के बाद प्रदेश में भूचाल आया था। 2017 में योगी सरकार आने के बाद बदमाशों के एनकाउंटर शुरू हुए और काफी संख्या में बदमाश जेल चले गए इसके बाद पलायन पर रोकथाम लगी थी।

Jarees malik

Sarkar Ki Kahani
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