ठगी का एहसास होते ही पीड़िता ने दर्ज कराई रिपोर्ट, पुलिस जांच में जुटी
खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर साइबर ठगों ने काकादेव निवासी एक विधवा को मनी लॉड्रिंग में फंसने का झांसा देकर तीन दिन डिजिटल अरेस्ट रखा। अरेस्ट वारंट जारी होने व केस से मुक्त होने के नाम पर तीन बार में आठ लाख रुपये ठग लिए। ठगी का एहसास होने पर पीड़िता ने साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है।

सर्वोदयनगर स्थित निहारिका अपार्टमेंट निवासी निशि सचदेवा के पति की काफी समय पहले मौत हो चुकी है। निशि के अनुसार 10 फरवरी को उनके मोबाइल पर एक अज्ञात नंबर से कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) का अधिकारी बताते हुए उनके नाम पर खरीदे गए सिम से गलत मैसेज किए जाने की बात कही। जब उन्होंने कहा कि वह स्कूल में है तो कॉल करने वाले ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया। कहा कि उनका नाम मनी लांडि्रग में आया है। साथ ही कहा कि उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट भी जारी कर दिया गया है। आरोप ने कहा कि केस खत्म होने तक उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया जाएगा और केस खत्म होने पर बेल हो जाएगी। इस दौरान आरोपी व्हॉट्सअप पर लगातार संपर्क में रहा। ठग ने 11 फरवरी को पहले दो बार में एक लाख रुपये ट्रांसफर कराए। फिर 14 फरवरी को सात लाख रुपये आरटीजीएस कराया। इस दौरान वह पूरे समय वीडियो कॉल पर जुड़ा रहा। कुछ दिन बीतने पर उन्हें ठगी का एहसास हुआ। साइबर थाना प्रभारी सुनील वर्मा ने बताया कि रिपोर्ट दर्जकर आगे की कार्रवाई की जा रही है।

सरकारी एजेंसियां नहीं करती डिजिटल अरेस्ट
साइबर ठगी और साइबर अपराध से बचने के लिए निम्नलिखित बातों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए।
– कोई भी सरकारी एजेंसी किसी भी व्यक्ति को डिजिटल अरेस्ट नहीं करती।
– पुलिस अधिकारी कभी भी अपनी पहचान बताने के लिए वीडियो कॉल नहीं करेंगे।
– पुलिस अधिकारी कभी भी आपको कोई एप डाउनलोड करने के लिए नहीं कहेंगे।
– पहचान पत्र, एफआईआर की कॉपी और गिरफ्तारी वारंट ऑनलाइन नहीं साझा नहीं किया जाएगा।
– पुलिस अधिकारी कभी भी वॉयस या वीडियो कॉल पर बयान दर्ज नहीं करते हैं।
– पुलिस अधिकारी कॉल पर पैसे या पर्सनल जानकारी देने के लिए डराते-धमकाते नहीं हैं।
– पुलिस कॉल के दौरान अन्य लोगों से बात करने से नहीं रोकती है।
– कानून में डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है, क्राइम करने पर असली वाली गिरफ्तारी होती है।
यहां करें शिकायत
किसी भी साइबर अपराध की शिकायत सबसे पहले हेल्पलाइन नंबर 1930 पर करें। साथ ही स्थानीय थाने या स्थानीय साइबर थाने में भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।