‘गोली मार दो या सूली चढ़ा दो’ – परिजनों का कड़ा रुख
Kanpur News : बड़े से बड़े संगीन मामलों में आरोपियों को उनकी कानूनी पैरवी में परिजन से लेकर रिश्तेदार की मदद मिल जाती है। इस मामले में पति दिलीप की हत्या करा जेल पहुंची प्रगति के लिए कानूनी पैरवी से परिजन किनारा कर रहे हैं। उनका कहना है कि चाहे पुलिस प्रगति को गोली मार दे या सूली पर चढ़ा दे। वह प्रगति को देखने तक नहीं जाएंगे। कानूनी पैरवी तो दूर की बात है।सियापुर निवासी हरगोविंद सिंह की बेटी प्रगति दो बहनों व तीन भाई में सबसे छोटी है। बचपन से ही वह सबकी लाडली थी। परिजनों के मुताबिक उसकी पढ़ाई लिखाई के लिए परिवार दिबियापुर में किराए के मकान में रहा था। कोविड काल में हरगोविंद की प्राइवेट नौकरी चली गई थी। इसके बाद गांव में दो मंजिला मकान बनवाने के बाद परिवार गांव आ गया था।

अनुराग के परिवार ने जबरन अपना बाड़ा बनवा लिया
वहां प्रगति की पड़ोस में रहने वाले अनुराग से नजदीकी हो गईं। परिजनों के मुताबिक दोनों परिवारों के बीच जमीन विवाद तीन पीढि़यों से चला आ रहा है। दोनों मकानों के बीच खाली पड़ी ग्राम समाज की जमीन इस रंजिश की वजह थी। पहले प्रगति के चाचा इस जमीन पर मवेशी बांधते थे, बाद में अनुराग के परिवार ने जबरन अपना बाड़ा बनवा लिया था।
शादी के 15वें दिन मौत के घाट उतरवा दिया
स्थिति यह थी कि छह माह पहले ही इस जगह को लेकर गोली चली थी। प्रगति के चाचा अर्जुन सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस सब के बावजूद अनुराग व प्रगति के बीच प्रेम प्रसंग परवान चढ़ता रहा। उधर, ऐश से जीवन काटने के लिए मैनपुरी के भोगांव निवासी हाइड्रा चालक दिलीप से भी प्रगति ने प्रेम प्रसंग का ढोंग रचा। शादी के 15वें दिन अनुराग के हिस्ट्रीशीटर दोस्तों ने प्रगति के पति को मौत के घाट उतरवा दिया।

पुलिस उसे गोली मार दे, या सूली चढ़ा दे
प्रगति के चाचा अर्जुन सिंह व भाई आलोक ने बताया कि अनुराग के परिवार से उनकी रंजिश थी। ऊपर से मन पसंद शादी कराने के बाद प्रगति ने पति दिलीप की हत्या कर दी। पारुल भी प्रगति की ससुराल में पहले से बिहाई है। ऐसे में प्रगति की करतूत ने झकझोर दिया है। उनका कहना है कि इसकी कानूनी पैरवी नहीं करेंगे। पुलिस उसे गोली मार दे, या सूली चढ़ा दे। उसे देखने तक नहीं जाएंगे।
छह माह पहले प्रगति को दिलीप ने दिया था एंड्रायड फोन
परिजनों के मुताबिक प्रगति घर पर ही रहती थी। उसका बाहर निकलना कम होता था। दिलीप से वह कभी कभार पिता के मोबाइल से बात करती थी। करीब छह माह पहले दिलीप ने प्रगति को एंड्रायड फोन दिया था। इसके बाद उनकी बातचीत होने लगी थी। हैरत की बात देखिए दिलीप ने जो गिफ्ट में प्रगति को फोन दिया, उसी फोन के जरिये शूटरों को दिलीप की लोकेशन भिजवाकर मौत के घाट उतरवाया गया।