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संभल: 117 करोड़ की साइबर ठगी में CBI का छापा, ठग दबिश के दौरान हुआ फरार

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सुबह-सुबह गांव को चारों ओर से घेरा, 100 अधिकारियों की टीम ने की छानबीन

करीब 117 करोड़ रुपये की साइबर ठगी के मामले की जांच कर रही सीबीआई ने 100 लोगों की टीम के साथ बुधवार सुबह ही अब्दुल्लापुर गांव को घेर लिया। टीम गांव में रहने वाले साइबर ठग और उसके साथियों की तलाश में जुट गई, लेकिन माैका पाकर साइबर ठग भाग निकला।

पुलिस ने साइबर ठग के पिता और दो अन्य युवकों को हिरासत में लेकर सात घंटे तक गांव के पांच घरों में पड़ताल की। इस दौरान टीम ने गांव में किसी को नहीं आने दिया। एक जनवरी 2023 से 17 अक्तूबर 2023 के बीच नेशनल अपराध क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर 2903 शिकायतें दर्ज हुई थीं। जिसमें 117 करोड़ रुपये की साइबर ठगी किए जाने की बात सामने आई थी। गृह मंत्रालय की ओर से सीबीआई को इस मामले की जांच सौंपी गई थी। इस मामले में जांच करते हुए टीम को मुरादाबाद के अब्दुल्लापुर निवासी तीन युवकों के बारे में जानकारी मिली। जांच में पता चला है कि दुबई में बैठे साइबर ठगों ने पार्ट टाइम जॉब का ऑफर देकर इन लोगों को अपने साथ जोड़ लिया था। इसके अलावा इनके जरिये ही लोगों के खाते हासिल किए गए थे। इन खातों के जरिये ही रुपयों का लेनदेन किया जा रहा था।

सीबीआई अफसरों ने मुरादाबाद पुलिस के अधिकारियों से संपर्क किया और पुलिस बल की मांग की। हालांकि, जिस मामले में जांच पड़ताल करनी है। इसकी जानकारी स्थानीय अधिकारियों को नहीं दी गई। सुबह करीब सात बजे अब्दुल्लापुर में 15 से ज्यादा गाड़ियों से 100 लोगों की टीम के साथ सीबीआई अफसर पहुंंचे। उनके साथ बैंक अधिकारी और महिला अफसर भी मौजूद थीं। बताया जा रहा है कि जिस वक्त टीम गांव में पहुंची, उस वक्त साइबर ठग जंगल में मौजूद था। उसने गांव में गाड़ियां आती देखी तो वह जंगल से ही भाग गया। टीम ने उसके पिता को हिरासत में लेकर आरोपी के बारे में जानकारी की। इसके बाद टीम ने गांव के दो अन्य युवकों को हिरासत में ले लिया। यह दोनों युवक भी आरोपी साइबर ठग के साथ काम करते हैं। टीम करीब तीन बजे तीनों को अपने साथ लेकर चली गई।

संदिग्ध ठग नहीं करते कोई काम, कुछ दिन पहले खरीदी पांच बीघा जमीन
अब्दुल्लापुर के कुछ लोगों का कहना है कि टीम जिनकी तलाश में आई थी। वह कोई काम नहीं करते हैं। रात रात भर जागकर लैपटॉप और मोबाइल पर लगे रहते हैं। एक युवक ने कुछ समय पहले ही पांच बीघा जमीन भी खरीदी है। गांव अब्दुल्लापुर में सीबीआई के छापे के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के लिए मुरादाबाद से ही पुलिस बल आया था। कुंदरकी थाने की पुलिस को दूर रखा गया था। बैंक अधिकारी और कर्मचारी भी साथ में ही थे।

दो साल पहले दिल्ली पुलिस ने किया था गिरफ्तार
सीबीआई ने जिस आरोपी की तलाश में आई थी, वह हाथ नहीं आया। 2023 में दिल्ली पुलिस की साइबर टीम भी आरोपी युवक को पकड़कर ले जा चुकी है। अब वह सीबीआई की रडार पर है। ऑनलाइन फ्रॉड करने वालों की उम्र 25 से लेकर 30 वर्ष के बीच है। मोबाइल पर नेटवर्किंग करने के मामले में एक्सपर्ट बताए जा रहे हैं।

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सीबीआई की टीम देख सन्न हुए लोग
संभल के लाडम सराय में डिजिटल अरेस्ट से जुड़े मामले में युवक को हिरासत में लेने की जानकारी तेजी से फैल गई। टीम ने घर में किसी को भी घुसने नहीं दिया। परिवार के लोगों को भी बाहर नहीं जाने दिया गया। दूसरी मंजिल पर ही परिवार के लोगों को टीम ने रखा। इस दौरान मोबाइल फोन भी टीम ने जब्त कर लिए थे। बाद में टीम जब रवाना हुई तो परिवार के लोग बाहर निकल सके। स्थानीय पुलिस को इस कार्रवाई की जानकारी थी, लेकिन मौके पर कोई नहीं पहुंचा था। डिजिटल अरेस्ट से जुड़े मामले में युवक की भूमिका होने की जानकारी पर लोगों के बीच तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गईं। लोगों ने कहा कि युवक 10 वर्ष से कारखाना घर में ही चला रहा है। काम भी कोई बड़े स्तर का नहीं है। सामान्य काम चल रहा है। युवक अविवाहित है। परिजन युवक को लेकर परेशान हैं।

दो साल पहले युवक के खाते में आए थे ढाई करोड़ रुपये
संभल में हिरासत में लिए गए युवक के भाई ने बताया कि उनका भाई तो घर में ही जींस का कारखाना चलाता है। दो वर्ष पहले सेविंग खाते में किसी तरह 2.5 करोड़ रुपये आए थे। इसकी जानकारी बैंक को हुई तो पूछताछ के लिए बुलाया था। जब बैंक को रुपये की जानकारी नहीं होने की बात बताई तो आयकर की टीम भी पूछताछ के लिए पहुंची थी। उसके बाद खाते को सीज कर दिया गया था। उसके बाद से खाते में कोई लेनदेन नहीं किया गया है।

म्यूल अकाउंट क्या है
म्यूल अकाउंट एक ऐसा बैंक खाता होता है, जिसका इस्तेमाल अपराधी अवैध गतिविधियों, जैसे मनी लॉन्ड्रिंग, धोखाधड़ी या अन्य वित्तीय अपराधों के लिए करते हैं। यह खाते आमतौर पर ऐसे लोगों द्वारा खोले जाते हैं जो या तो जानबूझकर या अनजाने में अपराधियों की मदद करते हैं। इस खाते में अवैध स्रोतों से प्राप्त धन को भेजा जाता है और फिर उसे अन्य खातों में ट्रांसफर किया जाता है। जिससे पैसों का स्रोत छिप जाता है और कानूनी जांच में मुश्किल होती है। अपराधी अक्सर लोगों को लुभावने ऑफर देकर अपने खाते इस्तेमाल करने के लिए तैयार कर लेते हैं।

Jarees malik

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