कर्नल सोफिया ने बबीना में प्रशिक्षण के दौरान शत्रु को दिखाया ‘सिंदूर’ का असर, झांसी में थीं मेजर

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कर्नल सोफिया ने बबीना में शत्रु को दिया करारा जवाब, झांसी में बतौर मेजर सेवा दी

भारत की एयर स्ट्राइक ने पूरे देश को गर्व से भर दिया, लेकिन बुंदेलखंड के लिए यह दोहरे गर्व का मौका रहा। जिन कर्नल सोफिया कुरैशी के जरिये पूरी दुनिया ने पाकिस्तान में आतंकी हरकतों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर का सच जाना, उनका जन्म न सिर्फ बुंदेलखंड में हुआ बल्कि दुश्मनों को मात देने का हुनर भी उन्होंने झांसी में सीखा। झांसी में कर्नल सोफिया बतौर मेजर तैनात रहीं। कई सैन्य अभियानों की अगुवाई कीं। कर्नल सोफिया के बड़े ताऊ का परिवार भट्टागांव में रहता है। आतंकी शिविरोपिर भारत के हमले के बाद बुधवार को उनके यहां जश्न छाया गया। परिजन ने सिर्फ यही कहा, बेटी ने आज गर्व से सिर ऊंचा कर दिया।

12 दिसंबर 1975 को हुआ था सोफिया का जन्म
छतरपुर के नौगांव निवासी सोफिया का जन्म 12 दिसंबर 1975 को हुआ था। उनके चाचा वली मोहम्मद नौगांव में रहते हैं। सोफिया के चचेरे भाई एवं मैकेनिकल इंजीनियर मोहम्मद रिजवान ने अमर उजाला को बताया कि सोफिया की शुरुआती पढ़ाई यहीं से हुई। वह हमेशा से पढ़ाई में जहीन रहीं। 

लेफ्टिनेंट बनने के बाद पदोन्नति मिलने पर हुईं कैप्टन
शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के माध्यम से भारतीय सेना में चयन के बाद पीएचडी और टीचिंग करियर भी छोड़ दिया। उनका कहना है कि लेफ्टिनेंट बनने के बाद पदोन्नति मिलने पर कैप्टन हुईं। इसके बाद झांसी में तैनात रहीं। यहां उनका मेजर पद पर प्रमोशन हो गया। गांधीनगर में लेफ्टिनेंट कर्नल के तौर पर पदस्थ रहीं।

सोफिया के पति भी सेना में अफसर
इसके बाद वह कर्नल हो गईं। सोफिया के पति भी सेना में अफसर हैं। सोफिया के ताऊ इस्माइल कुरैशी बीएसएफ से रिटायर्ड होने के बाद भट्टा गांव में रहने लगे। दो साल पहले उनकी मौत हो चुकी है। सोफिया की चचेरी बहन शबाना कुरैशी का कहना है कि परिवार के सभी बच्चों के लिए सोफिया रोल मॉडल हैं। सभी उनकी तरह बनना चाहते हैं। उन्हें देखकर ही उनके भाई इकबाल बीएसएफ में भर्ती हुए। पूरे परिवार के लिए आज खुशी का मौका है। सोफिया की भाभी ने भी इसे गर्व का पल बताया। परिवार के लोगों को आस-पड़ोस के लोगों ने पहुंचकर बधाई दी।

सैनिकों के गांव में हुई आतिशबाजी, बंटी मिठाई
ललितपुर का ध्वारी एवं पड़वां गांव में आतिशबाजी के साथ लोगों ने एक-दूसरे को मिठाई बांटकर खुशी मनाई। इस गांव में सर्वाधिक सेना से जुड़े लोग रहते हैं। ग्रामीणों के मुताबिक, ध्वारी गांव में 29 लोग सेना में हैं जबकि पड़वा गांव में 12 लोग सेना से हैं। इनमें अधिकांश विभिन्न स्थानों पर तैनात हैं। कई जवान सरहद पर भी तैनात हैं।

Jarees malik

Sarkar Ki Kahani
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