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मुरादाबाद जिले में मुख्यमंत्री की तबादला नीति की खुली अनदेखी?

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स्वास्थ्य विभाग में 13 वर्षों से जमें अधिकारी को फिर मिली नोडल की जिम्मेदारी

जरीस मलिक
मुरादाबाद। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बार-बार स्पष्ट किया है कि “एक ही जिले में तीन साल से अधिक समय तक किसी भी अधिकारी की तैनाती नहीं होगी।” यह घोषणा केवल प्रशासकीय व्यवस्था को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के उद्देश्य से नहीं की गई, बल्कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की ठोस कोशिश के रूप में देखी गई। बावजूद इसके मुरादाबाद के स्वास्थ्य विभाग में डॉ. संजीव बेलवाल वर्ष 2012 से लगातार पदस्थ हैं, और अब एक बार फिर उन्हें झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई हेतु नोडल अधिकारी बना दिया गया है।

स्थानांतरण नीति के अनुसार 15 मई से 15 जून के बीच तबादलों की प्रक्रिया चलनी है। ऐसे में डा. बेलवाल की तैनाती बरकरार रहना और उन्हें दोबारा वही जिम्मेदारी सौंपा जाना, न केवल नीति के उल्लंघन की ओर इशारा करता है, बल्कि शासन की मंशा पर भी सवाल खड़े करता है।

पुराने आरोप, नई जिम्मेदारी

डॉ. संजीव बेलवाल पूर्व में भी इसी भूमिका में रह चुके हैं और उन पर गंभीर आरोप लगे थे कि वे कथित रूप से सुविधा शुल्क लेकर अपंजीकृत अस्पतालों और पैथोलॉजी लैबों को सील करने के बाद उन्हें पुनः चालू कराते रहे हैं। शिकायतें न केवल मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गईं, बल्कि प्रमुख सचिव, चिकित्सा एवं परिवार कल्याण विभाग लखनऊ तक भी पहुंची थीं। विभागीय सूत्रों के अनुसार, सचिवालय में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ कथित गठजोड़ के कारण इन शिकायतों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

क्या मुख्यमंत्री की नीति केवल कागज़ी है?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक उच्चस्तरीय बैठक में साफ कहा था कि “स्थानांतरण नीति का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होगी।” ऐसे में डॉ. संजीव बेलवाल का लगातार 13 वर्षों तक एक ही जिले में तैनात रहना और दोबारा संवेदनशील पद पर नियुक्त किया जाना, सीधा नीति और मुख्यमंत्री की घोषणा की अवहेलना जैसा प्रतीत होता है।

स्थानीय असंतोष और पारदर्शिता की मांग
स्थानीय सामाजिक संगठनों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और पारदर्शिता के पैरोकारों ने इस नियुक्ति पर कड़ा ऐतराज़ जताया है। उनका कहना है कि यदि सरकार की नीति केवल कुछ जिलों और अधिकारियों पर लागू होती है, तो इससे भ्रष्टाचार को खुला संरक्षण मिलेगा और जनता का भरोसा प्रशासन पर से उठ जाएगा।

क्या होगी सरकार की अगली कार्रवाई?

यह मामला अब केवल एक व्यक्ति की नियुक्ति का नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री की घोषित नीति की साख का प्रश्न बन चुका है। देखना यह है कि शासन इस मुद्दे पर किस तरह की कार्रवाई करता है – क्या डॉ. संजीव बेलवाल को तबादला नीति के अनुरूप अन्यत्र भेजा जाएगा, या फिर यह मामला भी अन्य शिकायतों की तरह फाइलों में दफ्न होकर रह जाएगा?

मलाईदार पदों पर छोटे साहब का कब्जा

मुरादाबाद। स्वास्थ्य विभाग में 13 वर्षों से जमें डा. संजीव बेलवाल पर आधा दर्जन से अधिक मलाईदार पद हैं जैसें पीसीपीएनडीटी, झोलाछाप डॉक्टर के नोडल अधिकारी, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी, परिवार कल्याण के नोडल अधिकारी, विभागीय जांच-पड़ताल की जिम्मेदारी निभा रहे हैं जबकि हमेशा आरोप लगते रहे हैं। असल में डा. बेलवाल बाल रोग विशेषज्ञ हैं और सरकारी खर्च पर हासिल की है। कहने को तो मुरादाबाद मंडल में बाल रोग विशेषज्ञ की कमी है और पद खाली भी है।

इसके बावजूद वह प्राशासनिक जिम्मेदारी एक नहीं बल्कि आधा दर्जन से अधिक निभा रहे हैं ऐसा प्रतीत होता है कि स्वास्थ्य विभाग में डा. संजीव बेलवाल के बिना कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं है जो और जिम्मेदारी उठा सकें। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग लखनऊ को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

Jarees malik

Sarkar Ki Kahani
M: 9997411800, 9719616444

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