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PUBG की लत ने बना दिया मानसिक रोगी, लड़के की हरकतें देख चौंके परिजन और डॉक्टर

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टीकरी में मोबाइल गेम बना मानसिक बीमारी की वजह, डॉक्टरों ने शुरू किया इलाज

मोबाइल पर दिन में 18-18 घंटे तक पबजी गेम खेलने से टीकरी के किशोर की मानसिक हालत बिगड़ गई। वह अजीब हरकत करने लगा और नाम पूछने पर पबजी खेल में मिले कोड नंबर बताने लगा तो खेल की तरह गतिविधि करने लगा। किशोर को परिवार वाले अस्पताल लेकर पहुंचे तो जांच में पबजी खेलने से मानसिक स्थिति बिगड़ने के बारे में पता चला। अस्पताल में उसका उपचार शुरू किया गया।

पबजी पात्रों की तरह करता है हरकत
टीकरी कस्बे के रहने वाले राजमिस्त्री ने बताया कि उसके तीन बेटे हैं, जिनमें सबसे बड़ा बेटा मोबाइल पर दिन में 18-18 घंटे तक पबजी खेलता रहता है। पिछले एक सप्ताह से बेटा अजीब हरकत करने लगा। कई दिन तक उन्होंने नजरअंदाज किया, लेकिन बेटे की अजीब हरकतें बढ़ने लगीं। वह पबजी के पात्रों की तरह गतिविधियां करने लगा और अकेला बड़बड़ाने लगा। अब उसने खाना-पीना और बातचीत करना भी बंद कर दिया। बेटे के दोस्तों से बातचीत की तो उन्होंने लगातार पबजी गेम खेलने के बारे में बताया। राजमिस्त्री ने बताया कि लंबे समय तक पबजी खेलने से उसके बेटे की मानसिक हालत बिगड़ गई। उसे एंबुलेंस से जिला अस्पताल में लेकर पहुंचे तो चिकित्सक ने उसका उपचार शुरू कर दिया।

चिकित्सक को अपना नाम फाइटर 2.0 बताया
जिला अस्पताल में उपचार के लिए लाए गए किशोर से पहले सामान्य वार्ड में चिकित्सकों ने बातचीत की। बातचीत में उसने अपना नाम फाइटर 2.0 बताया और फिर पबजी खेल में खिलाड़ी जैसी हरकतें करने लगा। युवक की हरकतें देख चिकित्सक भी हैरान रह गए और मनोचिकित्सक के पास उपचार के लिए भेजा गया।

बच्चों को मोबाइल से दूर रखें अभिभावक : डॉ. अजय
जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. अजय कुमार ने बताया कि दिनचर्या में व्यस्तता होने के चलते अभिभावक अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दे रहे। अभिभावक अपने कार्यों में व्यस्त रहते हैं और बच्चों को आराम से बैठाने के लिए मोबाइल पकड़ा देते है। शुरुआत में कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन लंबे समय तक बच्चे मोबाइल चलाते हैं तो उन्हें उसकी आदत पड़ जाती हैं। ऐसे में पबजी, फायर फाइटर जैसे कई गेम बच्चों के दिमाग पर प्रभाव डालते हैं। गेम खेलने वाले बच्चे दिनभर उसी तरह की हरकतें करते रहते हैं। ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं और अभिभावकों को बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत हैं। छोटे बच्चों को अभिभावक मोबाइल से दूर रखे। इसके अलावा किशोर भी ज्यादा देर तक मोबाइल पर लगे रहे तो उनको समझाना चाहिए।

Jarees malik

Sarkar Ki Kahani
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