डा. पीके अग्रवाल की डिग्री की आड़ में टैक्नीशियन कर रहा मरीजों के अल्ट्रासाउंड
एसीएमओ डा. मनोज चौधरी के संरक्षण में हो रहा फर्जीवाड़ा

संभल। सरकार भले ही पीसीपीएनडीटी एक्ट को लेकर गंभीर हो लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ठेंगा दिखा रहे हैं। जिलाधिकारी भले ही पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत लाइसेंस अथॉरिटी हो लेकिन सीएमओ दफ्तर में बैठा नोडल अधिकारी सरकार और जिलाधिकारी को भ्रमित करने का काम कर रहा है। जी हां! ऐसा ही एक मामला जनपद संभल के सिरसी में संचालित बिजन अल्ट्रासाउंड सेंटर का पकड़ में आया है। जहां फर्जीवाड़ा चरम पर है।

मुरादाबाद-संभल रोड़ स्थित सिरसी में बुध बाजार के पास, मस्जिद के सामने बिजन अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालित है। जिसका पंजीकरण जिलाधिकारी ने डा. पीके अग्रवाल के नाम पर दिया था। पूर्व में ये अल्ट्रासाउंड गुन्नौर में संचालित था लेकिन अब सिरसी में सांठगांठ करके नोडल अधिकारी डा. मनोज चौधरी के संरक्षण में चल रहा है। असल में यहां संचालक दीपक ने बड़ी चतुराई से रेडियोलॉजिस्ट डा. पीके अग्रवाल के अभिलेख किराए पर लेकर पंजीकरण करवा लिया था। लेकिन पंजीकृत डाक्टर यहां नहीं आते। सिर्फ टैक्नीशियन ही मरीजों के अल्ट्रासाउंड कर आधी अधुरी रिपोर्ट तैयार करता है।

सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि सिरसी के इस बिजन अल्ट्रासाउंड सेंटर की ट्रांसफर फाइल में फर्जीवाड़ा किया गया है। जिलाधिकारी संभल या सीएमओ को इसकी जानकारी नहीं है। एसीएमओ डा मनोज चौधरी जिले में कई बड़ी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं वर्तमान में पीसीपीएनडीटी एक्ट के नोडल भी वहीं है। संचालक के छोटे साहब से अच्छे गहरे संबंध बताए जाते हैं। जिलाधिकारी को इस मामले की जांच कराकर वैधानिक कार्यवाही कराने की जरूरत है। ताकि सरकार की मंशा पर पीसीपीएनडीटी एक्ट को ओर मजबूत दायरे में लाया जा सकें। फर्जीवाड़ा पूरी तरह से खत्म किया जा सकें।