सिरसी के बिजऩ अल्ट्रासाउंड सेंटर का फर्जीवाड़ा उजागर
बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहा था फर्ज़ी अल्ट्रासाउंड सेंटर
सरकार की कहानी (अखबार) की खबर का असर

मुरादाबाद । संभल की नगर पंचायत सिरसी में बिजन अल्ट्रासाउंड सेंटर का फर्जीवाड़ा पकड़ में आने पर स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। फजीहत होती देखकर एसीएमओ डा मनोज चौधरी ने संचालक को इशारा देकर सेंटर खाली करा दिया और संचालक को फरार कर दिया।

गौरतलब है कि सिरसी में पिछले कई महीनों से बिना रजिस्ट्रेशन के बिज़नस अल्ट्रासाउंड सेंटर चल रहा था। यहां डाक्टर पीके अग्रवाल के नाम और डिग्री की आड़ में टैक्नीशियन मशीन से अल्ट्रासाउंड मरीजों के करता था। यहीं नहीं। बिना फार्म एफ भरे ही ओर बिना आधार कार्ड की प्रतिलिपि जम़ा कराए गभर्वती महिलाओं की मेल फिमेल की जांच कर मोटी रकम वसूल रहा था।

जब इस फर्जी अल्ट्रासाउंड सेंटर की खबर प्रमुखता के साथ सरकार की कहानी अखबार, बेवसाइट और ट्विटर अकाउंट पर प्रकाशित की गई तो हड़कंप मच गया। स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन में अपनी फजीहत होता देखकर एसीएमओ डा मनोज चौधरी ने मंगलवार को मौके पर पहुंचकर सील करने की बजाए सेंटर को खाली करा करदिया और बाहर लगा बोर्ड हटवा दिया। संचालक दीपक को कुछ दिनों बंद रखने का इशारा दिया।

सरकार की कहानी की टीम बुधवार को सिरसी अल्ट्रासाउंड सेंटर पर पहुंची तो सबकुछ बंद था। सूत्रों ने बताया कि संचालक दीपक अपनी दबंगई के बल पर बिना रजिस्ट्रेशन के सेंटर संचालित करता था। पहले ये सेंटर गुन्नौर क्षेत्र में पंजीकृत था लेकिन बाद में डा. पीके अग्रवाल ने अपने कागज वापस कर लिए। तभी से फर्ज़ी एसीएमओ के संरक्षण में संचालित था।
सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि इस फर्जी सेंटर में स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी भी पार्टनर थे। लेकिन कागजों में सिर्फ दीपक नामक व्यक्ति हैं। फिलहाल सेंटर पर जिला प्रशासन के साथ साथ सीएमओ की भी पहनी नज़र है। अपना दल कमेरावादी के मंडल अध्यक्ष डाक्टर रामेश्वर दयाल तुरैहा ने इस फर्ज़ी अल्ट्रासाउंड सेंटर की शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल और जिलाधिकारी संभल से की थी।
सीएमओ कार्यालय में 47 सेंटर पंजीकृत, 11 फर्जी सेंटर संचालित
विभागीय रिकॉर्ड के अनुसार संभल में कुल 47 अल्ट्रासाउंड सेंटरों का पंजीकरण है। लेकिन वर्तमान में 11 सेंटर अपंजीकृत चल रहे हैं जिनमें से दो असमोली में संचालित है। ये सभी एसीएमओ डाक्टर मनोज चौधरी के संरक्षण में पीसीपीएनडीटी एक्ट का खुलेआम उल्लघंन कर रहे हैं। जिलाधिकारी इसके लाइसेंस अथॉरिटी है इसलिए जिम्मेदारी बनती है कि कोई सेंटर बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित होने पाएं। सूत्रों से मिली जानकारी बताती है कि 47 सेंटरों में से अधिकांश सेंटरों पर पंजीकृत चिकित्सक की गैरमौजूदगी में टैक्नीशियन काम करता है और संचालक फर्जी हस्ताक्षर करके रिपोर्ट बना रहे हैं।